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गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे में अब तक 134 लोगों की मौत हो चुकी है. इस हादसे के बाद नगर के हर गली मोहल्ले में मातम पसरा हुआ है. श्मशान से लेकर कब्रिस्तान तक में जगह कम पड़ गई है. हालात ऐसे हो गए हैं कि शहर के चार क्रब्रिस्तान और सात श्मशान घाटों पर वेटिंग चल रही है.
अब तक के अपडेट के मुताबिक, शहर के एक ही कब्रिस्तान में 26 लोगों को दफन किया गया. इसके लिए हादसे की देर रात से लेकर अगले दिन की शाम 7 बजे तक लगभग 150 लोग यहां कब्रें खोदते रहे. अपनों को कफन के बाद दफन करने अब आने वालों की भीड़ इतनी थी कि शमशान में वेटिंग की स्थिति बन गई.
दफन किए गए लोगों के लिए आज जियारत और फातिहा पढ़ा जा रहा है. कब्रिस्तान में काम करने वाले गफ्फार शाह ने बताया कि पूरी रात से लेकर अगले दिन शाम तक वह कब्र खोते रहे ताकि आने वालों को दफन किया जा सके.
यही नहीं, हादसे के बाद श्मशानों और कब्रिस्तानों की एक जैसी तस्वीर थी. कब्रिस्तान में अपनों को अंतिम विदाई देने वालों की भीड़ थी तो श्मशान घाट के बाहर भी लोग अपनों को हमेशा के लिए विदा करने आए थे. कहीं चार तो कहीं 7 अलग-अलग श्मशान घाटों पर मातम का माहौल था.
उधर, गुजरात सरकार ने मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए 2 नवंबर को राज्यव्यापी शोक की घोषणा की है. यह फैसला हादसे के बाद की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया. बता दें कि रविवार शाम को मच्छु नदी पर बना केबल पुल टूटने से 134 लोगों की मौत हो गई थी.
प्रदेश की राजधानी गांधीनगर से करीब 300 Km दूरी पर मौजूद 100 साल से भी ज्यादा पुराने इस पुल को मरम्मत कार्य के बाद 5 दिन पहले ही फिर से खोला गया था. रविवार शाम साढ़े छह बजे जब यह पुल टूटा, उस समय इस पर काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
गुजरात सरकार ने पुल हादसे की जांच के लिए एक कमेटी बनाई है. वहीं, पुल टूटने की घटना से जुड़े मामले के सिलसिले में सोमवार को 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है. साथ ही उन एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोपों के तहत एक मुकदमा दर्ज किया है, जिन्हें इसके रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी दी गई थी.