गुजरात स्थानीय निकाय चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने 6 नगर निगम के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने इस बार पुराने चेहरों की जगह नए और युवा उम्मीदवारों पर भरोसा किया है. साथ ही बीजेपी ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरण का भी खास ख्याल रखा है, लेकिन सूरत में हिंदीभाषी पर महाराष्ट्रियन भारी पड़े हैं जबकि यहां मराठियों से तीन गुना आबादी उत्तर भारतीय लोगों की है. वहीं, इस बार बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को कैंडिडेट नहीं बनाया है जबकि पिछली बार अहमदाबाद से तीन प्रत्याशी उतारे थे.
बीजेपी ने नए चेहरों को दिया मौका
गुजरात के सूरत नगर निगम की 120 सीटों में से एक को छोड़कर बाकी 119 सीट के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं. बीजेपी ने इस बार 119 में से 95 नए चेहरों को उतारा है जबकि 13 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हें दोबारा से रिपीट किया गया है और 11 पुराने पूर्व पार्षदों को मौका दिया गया है. वहीं, राजकोट के 72 उम्मीदवारों में मेयर समेत 28 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. डिप्टी मेयर समेत 12 लोगों को बीजेपी ने रिपीट किया है और 60 नए चेहरों को मैदान में उतारा है. ऐसे ही अहमदाबाद में 192 उम्मीदवारों में से 35 कॉर्पोरेटर ऐसे हैं, जिन्हें दोबारा टिकट दिया गया है, इनमें 18 महिलाएं शामिल हैं. इसके अलावा बाकी नए और युवा चेहरों को तवज्जो दी गई है.
मुस्लिम को एक भी टिकट नहीं
सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात करने वाली बीजेपी ने इस बार एक भी मुस्लिम को निकाय चुनाव में टिकट नहीं दिया है. हालांकि सूरत और अहमदाबाद में कई मुस्लिम दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किए थे. बीजेपी ने साल 2015 में अहमदाबाद नगर निगम में तीन मुस्लिमों को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन जीत नहीं सके थे. इस बार 22 मुस्लिमों ने टिकट मांगे थे, लेकिन एक को भी प्रत्याशी नहीं बनाया है.
हालांकि, इसके पीछे एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम मुस्लिम प्रत्याशी उतार रही है, जिसे देखते हुए बीजेपी ने मुस्लिम बहुल सीट पर हिंदू प्रत्याशी उतारने का दांव चला है. इस समीकरण के जरिए बीजेपी को लग रहा है कि हिंदू वोटर को लामबंद कर मुस्लिम बहुल सीट पर भी अपनी जीत दर्ज कराए.
हिंदीभाषी पर मराठी भारी पड़े
गुजरात में महाराष्ट्रियन से ज्यादा हिंदीभाषी क्षेत्र के लोग रहते हैं. सूरत और अहमदबाद सहित वडोदरा क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़, राजस्थान और हरियाणा की बड़ी आबादी रहती है, जिनकी संख्या करीब 12 लाख से भी ज्यादा है. सूरत में सिर्फ हिंदीभाषी लोगों की संख्या 8 लाख है जबकि मराठीभाषी लोगों की 3 लाख आबादी है. ऐसे में सूरत की 119 सीटों में से 13 महाराष्ट्रियन को प्रत्याशी बीजेपी ने बनाया है जबकि पिछले चुनाव में 11 टिकट दिए थे.
वहीं, सूरत में हिंदीभाषी इलाके के 12 लोगों को टिकट दिया गया है जबकि पिछली बार 10 टिकट बीजेपी ने दिए थे. पार्टी ने मराठी और हिंदीभाषी दोनों ही क्षेत्रों के लोगों को पिछले बार से ज्यादा टिकट दिए हैं, लेकिन दोनों की तुलना में महाराष्ट्रियन को ज्यादा तव्वजो दी है. एक तरह से सूरत में महाराष्ट्र के लोग उत्तर भारतीयों पर भारी पड़े हैं. ऐसे ही अहमदाबाद में वडोदरा और भावनगर की सीटों पर भी टिकट दिए हैं. सूरत में महाराष्ट्रियन से तीन गुना ज्यादा उत्तर भारतीय या हिंदीभाषी क्षेत्र के लोग ज्यादा रहते हैं, जो यहां की जीत और हार में अहम भूमिका अदा करते हैं.