scorecardresearch
 

गुजरात: सूरत के एक गांव में दो दिनों में 6 लोगों की मौत, ग्रामीणों में दहशत

दावा किया गया है कि पानी की लाइन में लीकेज होने के बाद से दूषित पानी कई लोगों के घर पहुंचा और उसी के सेवन के बाद तबीयत खराब होने का सिलसिला शुरू हुआ.

Advertisement
X
सूरत के गांव में गंदे पानी से दहशत ( सांकेतिक फोटो)
सूरत के गांव में गंदे पानी से दहशत ( सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सूरत के गांव में गंदे पानी से दहशत
  • 6 की मौत, 50 से ज्यादा एडमिट
  • मृतकों के परिजन को एक-एक लाख रुपए

गुजरात में कोरोना के मामले पिछले कई दिनों से कम होते दिख रहे हैं. हर बीतते दिन के साथ स्थिति सुधरती दिख रही है. लेकिन इस राहत की खबर के बीच सूरत का एक गांव में दहशत में जीने को मजबूर है. वहां पर दो दिन में 6 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. अब ये मौतें कोरोना की वजह से नहीं हुई हैं, बल्कि गंदे पानी को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है. ये घटना सूरत के कठोर गांव की है जहां पर लोग काफी डरे हुए हैं.

Advertisement

सूरत के गांव में गंदे पानी से दहशत

कुछ दिन पहले ही सूरत के इस गांव को शहरी इलाके में शामिल किया गया था, ऐसे में तमाम मूलभूत सुविधाएं भी सूरत महानगर पालिका द्वारा दी जा रही थीं. लेकिन दावा किया गया है कि पानी की लाइन में लीकेज होने के बाद से दूषित पानी कई लोगों के घर पहुंचा और उसी के सेवन के बाद तबीयत खराब होने का सिलसिला शुरू हुआ. लोगों में लगातार उल्टी और दस्त की शिकायत सामने आने लगी. देखते ही देखते 6 लोगों ने अपनी जान गंवा दी और 50 से अधिक अस्पताल में एडमिट हो गए.

6 की मौत, 50 से ज्यादा एडमिट

बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सूरत मनपा की मेयर हेमाली बेन वोघावाला ने मौके पर पहुंचकर लोगों से संवाद स्थापित किया. मांग अनुसार उनकी तरफ से ऐलान किया गया कि मृतकों के परिजन को एक-एक लाख रुपए मेयर फंड से दिए जाएंगे, वहीं बीमार लोगों का खर्च मनपा द्वारा उठाया जाएगा.

Advertisement

पानी की गुणवक्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, ऐसे में लोगों के घर में सप्लाई हो रहे पानी की भी टेस्टिंग की जा रही है, वहीं लोगों को साफ पानी मिल सके इसलिए टैंकर का भी इतंजाम कर दिया गया है. इस सब के अलावा प्रशासन की तरफ से अब क्लोरीन दवाई का वितरण भी शुरू कर दिया गया है.

क्लिक करें- गुजरात: कोरोना मरीज को दी गई एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी, US में ट्रंप का भी इससे हो चुका है इलाज 

लेकिन जो मदद लोगों को अब दी जा रही है, अगर वो पहले ही मिल जाती और पानी की गुणवक्ता को नियमित रूप से चेक किया जाता, तो लोगों की जान भी नहीं जाती और प्रशासन पर यूं सवाल उठाने का मौका भी नहीं मिलता. 

Live TV

Advertisement
Advertisement