गुजरात के द्वारका में 23-24 दिसंबर को आयोजित दो दिवसीय महा रास में 37,000 से अधिक महिलाएं एकत्र हुईं. पारंपरिक लाल पोशाक पहने महिलाओं ने भगवान कृष्ण की मूर्ति के चारों ओर घेरे में नृत्य किया. यह आयोजन बाणासुर की बेटी और भगवान कृष्ण की बहू उषा के रास की याद में आयोजित किया गया था.
महिलाओं को गीता पुस्तक के उपहार से सम्मानित किया गया
अखिल भारतीय यादव समाज और अहिरानी महिला मंडल द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम विशाल नंदधाम परिसर में हुआ. सभा में न केवल भारत के विभिन्न हिस्सों से बल्कि दुनिया भर से प्रतिभागी शामिल थे. इस आयोजन में डेढ़ लाख से अधिक अहीर यादव समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया. प्रदर्शन के बाद, सभी 37,000 भाग लेने वाली महिलाओं को गीता पुस्तक के उपहार से सम्मानित किया गया.
यात्राधाम द्वारका में अखिल भारतीय अहिरानी महा रास में जामनगर सांसद पूनम बेन माडमने अपने पारपरिक ड्रेस के साथ रास गरबा किया. गुजरात भर से अदाजित 37 हजार से अधिक अहीर बहनों ने अपनी पारंपरिक पोशाक पहनकर कृष्ण भक्ति में लीन होकर कालिया ठाकोर की राजधानी द्वारका में रास गरबा का आयोजन किया.
श्रीमद्भागवत ग्रंथ के रसपंचाध्यायी में रसेश्वर रसराज के वर्णन के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की व्रजभूमि में दिव्य रस देखने को मिलता था, जो 5000 वर्ष पूर्व भगवान द्वारकाधीश की राजधानी में प्रारंभ हुआ था, उसका पुनरुद्धार हुआ.
शांति यात्रा का भी आयोजन किया गया
इस कार्यक्रम को देखने और द्वारका में शामिल होने के लिए गुजरात सहित देश और दुनिया भर से अहीर समुदाय आ रहे हैं. कार्यक्रम के दौरान अहीर समाज द्वारा द्वारकाधीश जगत मंदिर के आसपास सफाई अभियान चलाया जायेगा तथा 23, 24 को गुजरात होमवर्क एवं बुनाई की कुशल अहीर बहनों द्वारा एक एक्सपो का भी आयोजन किया गया है. 24 तारीख को द्वारका नगरी में शांति यात्रा का भी आयोजन किया गया है.