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राजकोट को स्वच्छ करने के लिए नगर निगम ने उठाया बड़ा कदम, प्राइवेट कंपनी को दिया कॉन्ट्रैक्ट

गुजरात का राजकोट शहर स्वच्छता के पैदान पर लगातार फिसलता जा रहा था, जिसको लेकर वहां के महानगर निगम ने बड़ा फैसला लिया है और उसने डोर- टू- डोर वेस्ट कलेक्शन का जिम्मा दस साल के लिए एक निजी कंपनी को दे दिया है.

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राजकोट महानगर निगम ने स्वच्छता को लेकर की बैठक
राजकोट महानगर निगम ने स्वच्छता को लेकर की बैठक

नरेंद्र मोदी पहली बार जब 2014 में पीएम बने थे उसी समय उन्होंने सफाई को प्राथमिकता दी और पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया. इसके बाद स्वच्छता के हिसाब से देश के शहरों को रेटिंग दी जाने लगी. जिसमें कई शहरों ने अपना नाम दर्ज कराया. ऐसा ही एक शहर है गुजरात का राजकोट जो वहां के सबसे बड़े चार शहरों में से एक है.

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ये शहर कभी देश के टॉप 10 स्वच्छ शहरों में शुमार था. लेकिन अब ये शहर 7 वें स्थान से फिसलकर 29 वें नंबर पर पहुंच गया है. जो इस बात का संकेत है कि शहर में सफ़ाई की हालत बिगड़ रही है.

डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन का जिम्मा प्राइवेट कंपनी को दिया गया

स्वच्छता को लेकर राजकोट का नगर निगम हरकत में आ गया है और उसने एक बैठक की. इस बैठक में फैसला लिया गया कि डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन का काम महानगर निगम अब खुद नहीं करेगा. ऐसे में 10 साल के लिए इस काम का जिम्मा प्राइवेट कंपनी को दे दिया गया है. जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाया है और कहा है कि इससे पैसा दोगुना खर्च होगा, वहीं दूसरी तरफ लोगों ने आशा व्यक्त की है कि शहर में स्वच्छता की स्थिति में अब सुधार होगा.

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अभी राजकोट में 200 से ज़्यादा टिपर वेन के माध्यम से शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन किया जाता है.  जिसके लिए 400 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं. लेकिन इससे पूरे शहर में से डोर- टू- डोर कचरे का कलेक्शन पूरी तरह से नहीं हो रहा है. यहीं वजह है कि शहर में न्यूसनस पॉइंट में भी बढ़ोतरी हो रही है. शहर में ऐसी 116 न्यूसनस पॉइंट हैं, जहां पर लोग खुले में अपना कचरा फेंकते हैं, क्योंकि उनके घर तक डोर टू डोर कचरा कलेक्ट नहीं हो पाता है.

10 साल के लिए दिया गया कॉन्ट्रैक्ट

शहर के 116 न्यूसनस पॉइंट में से राजकोट महानगर निगम सिर्फ़ 2 पॉइंट को ही कम कर सका है. यानी राजकोट में 114 जगह पर लोग खुले में अपने घर का कचरा फेंक रहे हैं, जिससे गंदकी और बीमारिया फैलने का खतरा रहता है. इसलिए राजकोट नगर निगम ने ये कॉन्ट्रैक्ट प्राइवेट कंपनी को देने का फैसला किया है. नगर निगम हर साल 96 करोड़ रुपये इस कंपनी को देगा. मतलब 10 साल में RMC कचरे के कलेक्शन में एक हज़ार करोड़ प्राइवेट कंपनी को देगी.

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