गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने भले ही जीत हासिल कर ली हो, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में उसकी कम सीटों ने पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. बीजेपी को राज्य में सबसे बड़ा झटका सौराष्ट्र में लगा है, जिसे बीजेपी का दुर्ग कहा जाता है. इस क्षेत्र में पिछले चुनाव के मुकाबले पार्टी की 12 सीटें कम हुई हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी अभी से अपना ये किला दुरुस्त करने में जुट गई है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में बीजेपी के पास पाने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन गंवाने के लिए पूरा राज्य पड़ा है. सौराष्ट्र किसानों का मजबूत गढ़ है. बीजेपी को किसानों की नाराजगी का खामियाजा विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग ही नहीं, बल्कि किसानों के मुद्दे को भी उठाकर बीजेपी को घरेते रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने सौराष्ट्र के किसानों की नाराजगी को दूर करने के लिए राज्य की कृषि नीति की समीक्षा शुरू कर दी है.सौराष्ट्र की जिन विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी की हार हुई है, पार्टी वहां अपने स्तर पर काम शुरू कर चुकी है. दरअसल बीजेपी इसलिए भी इस इलाके में सक्रिय हो गई है क्योंकि चुनाव में उसकी यहां से सीटें कम हुई, साथ ही सौराष्ट्र से ही आने वाले पाटीदार नेता परेश धनानी को कांग्रेस ने विपक्ष का नेता बना दिया है. इन सबके चलते विजय रूपाणी सरकार को अपनी कृषि नीति पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जो किसानों के बीच असंतोष का एक बड़ा कारण बनी हुई है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी सरकार को किसान विरोधी करार देते रहे हैं. गुजरात में बीजेपी को घेरने के लिए और लगातार दबाव बनाने के लिए परेश धानानी, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवानी आवाज उठा सकते हैं. परेश धनानी किसान परिवार से निकले हैं. ऐसे में वो किसानों से जुड़े मुद्दे पर सदन में सरकार को घेर सकते हैं. वहीं हार्दिक पटेल सदन से बाहर सरकार के खिलाफ लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए किसान और पाटीदार दोनों जगह अपनी स्थिति को बेहतर करने की बड़ी चुनौती है.
सौराष्ट्र पर फोकस
सौराष्ट्र बीजेपी का परंपरागत क्षेत्र रहा है. बीजेपी 1995 में इसी क्षेत्र के सहारे पहली बार राज्य की सत्ता पर विराजमान हुई थी. 54 सीटों में से 44 सीटें जीतने में वो सफल रही थी, लेकिन इस बार बीजेपी का ये दुर्ग दरका है. कांग्रेस ने सेंधमारी करते हुए 29 सीटें जीतीं तो बीजेपी को 25 सीटें मिलीं. ऐसे में रूपाणी सरकार सौराष्ट्र के लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए रणनीति बना रहे हैं. इसके जरिए किसानों की समस्याओं का निदान किया जाएगा. इंडस्ट्री के साथ-साथ कृषि नीतियों पर भी बीजेपी सरकार मुख्य फोकस करेगी.