सुप्रीम कोर्ट ने आज उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें नरेंद्र मोदी को गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों की जांच के सिलसिले में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल उठाया गया है.
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एसए बोबड़े की पीठ ने उस आग्रह पर भी विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीशों और अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति को शामिल कर विशेष जांच दल का पुनर्गठन करने का आग्रह किया गया था.
पीठ ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को विशेष जांच दल द्वारा क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती देने वाले आग्रह का संदर्भ देते हुए कहा कि इस स्थिति में विशेष जांच दल का पुनर्गठन सही नहीं है.
कोर्ट की पीठ की इस टिप्पणी के बाद अधिवक्ता फातिमा ने याचिका वापस लेने का फैसला किया. याचिका फातिमा ने ही दाखिल की थी. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआईटी ने गुलबर्ग सोसायटी दंगे के मामले में 2012 में मोदी को क्लीन चिट दे दी थी.
एसआईटी की रिपोर्ट के विरोध में दंगे में मारे गए पूर्व कांग्रेस सांसद जाकिया जाफरी की पत्नी ने याचिका दाखिल की थी, लेकिन निचली कोर्ट ने दिसंबर 2013 में मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट पर मुहर लगा दी थी.
क्लोजर रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा था कि उसे मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है. जाकिया जाफरी का कहना है कि इस मामले में मोदी समेत दूसरे नेताओं, पुलिस अधिकारियों और नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.