
देश में लाउडस्पीकर विवाद का मुद्दा बना हुआ है. देश के कई राज्यों में मंदिर-मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं तो कई जगह उनके वॉल्यूम कम किए जा रहे हैं. लाउडस्पीकर विवाद को लेकर कई राजनीतिक दल अपनी राजनीति भी कर रहे हैं. मसलन लाउडस्पीकर अब देश में धार्मिक और राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है. देश में चल रहे लाउडस्पीकर विवाद के बीच गुजरात के सूरत में एक ऐसा गांव है जहां 1-2 लाउडस्पीकर नहीं बल्कि पूरे 55 लाउडस्पीकर के साथ माता रानी की आरती होती है. 55 लाउडस्पीकर की आरती से पूरा गांव भक्तिमय हो जाता है.
समुद्र तट पर बसा हजीरा गांव
सूरत शहर की चमक-दमक से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर हजीरा गांव अपने औद्योगिक क्षेत्र के लिए जाना जाता है. हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में देशी-विदेशी छोटी बड़ी कई कंपनियां कार्यरत है. समुद्र तट पर बसे हजीरा गांव में रहने वाले लोग भी यहां की कंपनियों में रोजी रोटी के लिए काम करते हैं. साथ ही समंदर में मछली पकड़ने जाने का भी काम इस गांव के लोग करते हैं. सूरत के हजीरा गांव के विकास के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ स्थानीय कई कंपनी के फाउंडेशन द्वारा भी विकास कार्य किए गए हैं.
हजीरा गांव में कई धार्मिक स्थान
हजीरा गांव में कई धार्मिक स्थान भी है इन्हीं में से एक सिंगोतर आशापुरी माता जी का मंदिर भी है. हजीरा गांव में स्थित सिंगोतर आशापुरी माता का मशहूर मंदिर करीबन साढ़े चार सौ वर्ष पुराना बताया जा रहा है. माता के दर्शन के लिए न सिर्फ हजीरा गांव के लोग बल्कि उसके आसपास के गांव के लोगों के अलावा सूरत शहर से भी लोग दर्शन करने के लिए यहां आते हैं.
मूर्ति के बारे में मान्यता
मंदिर में विराजमान मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि यहां पांच सौ वर्ष पूर्व एक बरगद के पेड़ के नीचे माताजी स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुई थी और इसके बाद मूर्तियों की मंदिर बनाकर स्थापना की गई थी. बहुत से भक्त मंदिर में विराजमान माता जी को वाहनवती माताजी के नाम से भी पूछते हैं. हजीरा गांव की माता जी के मंदिर आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, ऐसा भक्तों में विश्वास है.
माता की सुबह शाम आरती
सिंगोतर आशापुरी माता की सुबह शाम आरती की जाती है. मंदिर की आरती सिर्फ एक दो लाउडस्पीकर में नहीं बजती है, बल्कि पूरे 55 लाउडस्पीकर में बजती है और आरती पूरे गांव को सुनाई जाती है. लाउडस्पीकरों के जरिए जो गांव वासी मंदिर तक नहीं पहुंच पाते हैं. कहीं खेत खलियान में काम पर रह जाते हैं उन्हें भी आरती सुनने का लाभ मिल जाता है. इससे पूरे गांव में सुबह शाम एक अलग प्रकार का भक्तिमय माहौल भी बन जाता है.
सूरत का हजीरा गांव औद्योगिक इकाइयों से घिरा हुआ है. इस गांव की आबादी पहले बहुत ही कम हुआ करती थी. यहां रहने वाले लोग इसी गांव के हुआ करते थे, लेकिन जिस तरह से हजीरा औद्योगिक क्षेत्र ने अपना विकास किया छोटी बड़ी बहुत सारी देशी विदेशी कंपनियां आई उससे बाहरी श्रमिक भी बड़ी संख्या में आए.
स्थानीय लोगों ने किराए से रहने के लिए कमरे तैयार किए
श्रमिकों के रहने के लिए हजीरा गांव में स्थानीय लोगों ने किराए से रहने के लिए कमरे भी तैयार किए, जहां श्रमिक रह रहे है. इस तरह से हजीरा गांव की आबादी धीरे धीरे बढ़ती गई. भौगोलिक दृष्टि से भी गांव का विकास हुआ है. हजीरा ग्राम पंचायत के डेप्यूटी सरपंच रोहित भाई पटेल ने बताया की गांव में स्थित माताजी की मंदिर की सुबह शाम होने वाली आरती गांव में रहने वाले सभी लोगों को सुनाया जा सके इस वजह से ग्राम पंचायत ने अलग-अलग जगहों पर कुल 55 लाउडस्पीकर लगाए हैं. समग्र गांव में 55 लाउडस्पीकर लगाने की व्यवस्था 2 साल पहले ही की गई. हालांकि उसकी चर्चा अब हो रही है जब देश में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद चल रहा है.