आरक्षण की मांग को लेकर पिछले कई महीनों से गुजरात में आंदोलन कर रहा पाटीदार समाज किसी ना किसी बहाने राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर हमला करने से नहीं चूकता है. गणेश चतुर्थी के दिन यूं तो गुजरात के सूरत में पाटीदार समाज द्वारा गणेश विसर्जन यात्रा निकाली गई थी, मगर इस यात्रा में शामिल हुए हजारों पाटीदारों ने अपनी आरक्षण की मांग दोहराते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
सूरत में पाटीदार बाहुल्य इलाका कहे जाने वाले वराछा में भी शहर के बाकी इलाकों की तरह भगवान गणेश की दस दिनों तक पूजा अर्चना किए जाने के बाद विसर्जन यात्रा निकली थी. वराछा इलाके के मानगढ़ चौक पर स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का जलाभिषेक कर, इस गणेश विसर्जन यात्रा में हजारों की तादाद में पाटीदार समाज के लोग शामिल हुए. सभी ने अपने सिर पर सफेद रंग की टोपी लगा रखी थी. इस टोपी के दोनों हिस्सों में से एक पर 'जय पाटीदार', जबकि दूसरे हिस्से पर 'जय सरदार' लिखा था. ऐसे ही स्लोगन वाली टोपी पहन कर हर्दिक पटेल ने गुजरात भर में अपने पाटीदार समाज को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन छेड़ा था, जिसने हिंसक रूप ले लिया था.
सूरत में आज एक बार फिर गणेश विसर्जन यात्रा के बहाने जुटे हजारों पाटीदार समाज के लोगों ने अपनी आरक्षण की मांग दोहराते हुए गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. सूरत पाटीदार आरक्षण समिति के अल्पेश कथिरिया ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और दिनेश बामणिया के खिलाफ दर्ज हुए मामले का मुद्दा भी उठाया.
गणेश विसर्जन यात्रा में जुटे हजारों पाटीदारों ने कई किलोमीटर चलकर अपनी गणेश मूर्ति का विसर्जन किया और जिस रास्ते से ये गुजरे उस रस्ते पर अराजकता फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इन्हें रोकने के लिए कोई पुलिस भी मौजूद नहीं थी.