2 साल पहले गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना तहसील में गौरक्षकों के आक्रमण से बुरी तरह से जख्मी हुए एक दलित परिवार से 4 सदस्यों समेत 7 लोगों ने बौद्ध धर्म कबूल कर लिया.
गुजरात के ऊना के मोटा सामढियाला में दलित पीड़ित परिवार ने रविवार को बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली. दलितों पर हो रहे अत्याचार और सरकार की उपेक्षा से नाराज इस दलित परिवार ने बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने का फैसला लिया. दीक्षा के लिए पुलिस ने सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए थे.
'बुद्धम् शरम् गच्छामी' के उद्घोष के साथ गुजरात के एक दलित परिवार के 7 लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. ऊना का यह सरवैया दलित परिवार तब चर्चा में आया, जब गौरक्षा के नाम पर कुछ लोगों ने मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे इस दलित परिवार पर हमला कर उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा और जख्मी कर दिया.
यही नहीं हमलावर उन्हें मारते-मारते 10 किमी तक ऊना के पुलिस स्टेशन के सामने ले गए. जहां उन्हें कार के साथ बांध कर फिर मारा गया. इस घटना के डेढ़ साल के बाद उन लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली.
पीड़ित दलित रमेश सरवैया का कहना है कि उनके साथ अब तक न्याय नहीं हुआ, जो आरोपी हैं वो जमानत पर रिहा हो गए हैं, यही नहीं सरकार ने जो वादा किया था, उसे भी अब तक पूरा नहीं किया गया है. इस दलित परिवार के साथ-साथ आज गांव के करीब 50 लोगों ने भी धर्म परिवर्तन कर लिया.
11 जुलाई 2016 को रमेश सरवैया, भाई वसराम, अशोक और उसके चचेरे भाई बेचर को अर्धनग्न हालात में कार से बांधकर मारते-पीटते हुए घसीटा गया था. इस घटना के बाद पूरे देश में जमकर गुस्सा देखने मिला, साथ ही इस अत्याचार को लेकर खूब राजनीतिक प्रतिक्रिया भी हुई थी. इस घटना की गूंज संसद तक में सुनी गई.
हालांकि बौद्ध धर्म स्वीकार करने वाले दलित इस धर्म परिवर्तन के पीछे सरकार की वादाखिलाफी को मुख्य कारण मानते हैं.
ऊना के एसएसपी हितेष जोतारिया ने धर्म परिवर्तन पर कहा कि इस दलित परिवार ने मार्च 2018 में जिला कलेक्टर को सिर्फ एक ज्ञापन दिया था, कि वो बौद्ध धर्म स्वीकार कर सकते हैं. हालांकि इसके बाद सरकार ने इस मामले में किसी भी तरह की कार्यवाही नहीं की और ना ही सरकारी नियम के मुताबिक इन लोगों ने धर्म परिवर्तन का कोई फॉर्म ही भरा है.
मामला काफी संवेदनशील होने की वजह से किसी तरह की कानून-व्यवस्था न बिगड़े इसके लिए पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं.