देशभर में कोरोना की रोकथाम के लिए तेजी से वैक्सीनेशन अभियान जारी है. 21 जून को रिकॉर्ड संख्या में टीके लगाए गए थे, लेकिन उसके बाद गुजरात में टीकाकरण में कमी आई है. साथ ही राज्य सरकार ने कई टीकाकरण सेंटर्स को बंद कर दिया है.
गुजरात में अन्य प्रदेशों की तरह टीकाकरण अभियान जारी है. 21 जून को बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी, लेकिन अब इसमें तेजी से गिरावट आ रही है. पिछले सात दिनों में सूरत में वैक्सीनेशन में 75 फीसदी की कमी आई है. इतना ही नहीं, वैक्सीन की कमी के चलते 50 फीसदी टीकाकरण केंद्रों में भी कमी आ गई है.
अहमदाबाद, सूरत, राजकोट, वडोदरा जैसे शहरों में कम टीके लगाए जाने की रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं. लोग टीकाकरण केंद्र में आ रहे हैं, लेकिन लोगों को बिना टीके लगवाए ही वापस जाना पड़ रहा है. सीएम रुपाणी ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए कहा था कि गुजरात में लोगों को ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन लगाना ही हमारा लक्ष्य है.
हालांकि, हकीकत इससे काफी अलग है. कई अन्य राज्यों की तरह, गुजरात में भी वैक्सीन की कमी से लोगों को बार-बार वैक्सीनेशन सेंटर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इस मामले में गुजरात कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने बीजेपी सरकार पर हमला बोला है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी सरकार की प्राथमिकता- नागरिकों के लिए वैक्सीन नहीं, सिर्फ पब्लिसिटी की भूख है. गुजरात में ज्यादातर टीकाकरण सेंटरों पर वैक्सीन की कमी से वैक्सीनेशन बंद के बोर्ड लगे हैं. दूसरी ओर, टीकाकरण के नाम पर सरकार हर चौराहे पर बैनर लगाकर खुद को धन्यवाद देने में व्यस्त है.''
राज्य सरकार ने व्यापारियों और दुकानदारों के लिए 30 जून तक वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया है. टीका लेने के लिए दुकानदार और व्यापारियों को वैक्सीन सेंटर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. इस बीच, कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट ने केंद्र और राज्य सरकारों की चिंता बढ़ा दी है.