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तीन साल में 276 घंटे हवा में रहीं गुजरात की पूर्व गवर्नर बेनीवाल

गुजरात की पूर्व गवर्नर कमला बेनीवाल ने पद पर रहते हुए सरकारी विमान का खूब दुरुपयोग किया. गुजरात राज भवन के रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि बेनीवाल सरकारी विमान से तीन वर्षों में 63 बार राज्य से बाहर गईं. इसमें से ज्यादातर दौरे उनके गृह राज्य राजस्थान के थे और वे सरकारी विमान से हमेशा जयपुर जाया करती थीं.

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गुजरात की पूर्व गवर्नर कमला बेनीवाल ने पद पर रहते हुए सरकारी विमान का खूब दुरुपयोग किया. गुजरात राज भवन के रिकॉर्ड्स से पता चलता है कि बेनीवाल सरकारी विमान से तीन वर्षों में 63 बार राज्य से बाहर गईं. इसमें से ज्यादातर दौरे उनके गृह राज्य राजस्थान के थे और वे सरकारी विमान से हमेशा जयपुर जाया करती थीं.

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बेनीवाल ने सरकारी विमान का कितना दुरुपयोग किया, इसका उदाहरण इस बात से मिलता है कि 2011-12 में उन्होंने 83 घंटे हवा में बिताए, 2012-13 में उन्होंने 91 घंटे और 2013-14 में 102 घंटे.

87 वर्षीय बेनीवाल अभी मिजोरम की गवर्नर हैं. वह गुजरात में तैनाती के दौरान अहमदाबाद से जयपुर तीन वर्षों में 53 बार गईं और 10 बार दिल्ली आईं. दिलचस्प बात यह है कि उनके दौरों को ऑफिशियल बताया गया ताकि विमान का मुफ्त उपयोग किया जा सके और उन्हें तमाम सुविधाएं तथा भत्ते मिलते रहें. वह 2010 से पद से हटने तक 497 दिन राज्य से बाहर रहीं. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इस तरह के दौरौं पर क्या खर्च आता है लेकिन भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि बेनीवाल का हर दौरा डेढ़ करोड़ रुपये का होता था यानी उस पर लगभग इतने का खर्च आता है.

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बेनीवाल का जयपुर का हर दौरा ऑफिशियल बताया जाता था जबकि सिर्फ दिल्ली का ही उनका दौरा ऑफिशियल होता था. बेनीवाल के तमाम हवाई दौरों में से सिर्फ 12 को प्राइवेट बताया गया. वह हर साल औसतन 100 दिन राज्य से बाहर रहती थीं. ये आंकड़े गुजरात राज भवन से लिए गए हैं और इनकी छानबीन हो रही है.

बेनीवाल का तत्कालीन मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी से कटु रिश्ता रहा. लोकायुक्त और कुछ कानूनों के बारे में दोनों में काफी मतभेद रहे. मोदी की सरकार आते ही बेनीवाल को मिजोरम का गवर्नर बनाकर भेज दिया गया. उन्होंने 9 जुलाई को अहमदाबाद छोड़ा. हालांकि उनका कार्यकाल नवंबर में ही खत्म हो गया. उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिलों को रोके रखा और कुछ विधेयकों को तो वे तीन साल दबाए बैठे रहीं. हर विधेयक को लेकर बैठ जाना उनका स्वभाव बन गया था.

जब बेनीवाल का तबादला मिजोरम हुआ था तो उन्होंने उसे रुकवाने की पूरी कोशिश की. लेकिन उन्हें जाना ही पड़ा. मोदी से टकराव के दौरान बेनीवाल उनसे बिना राय लिए हुए रिटायर्ड जस्टिस आरए मेहता को गुजरात का लोकायुक्त बनाने की अधिसूचना जारी कर दी. इसके खिलाफ राज्य सरकार ने अदालत की शरण ली लेकिन बात ने बनने पर सुप्रीम कोर्ट गई जिसने गवर्नर के फैसले को बरकरार रखा. लेकिन जस्टिस मेहता खुद ही इससे बाहर हो गए. इसके बाद मोदी ने दूसरे सज्जन का नाम आगे बढ़ाया.

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