देश भर में चुनाव में बीजेपी से मिल रही करारी हार के मद्देनजर कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलनी शुरू कर दी है. अब वह इंदिरा गांधी के सहारे आगे बढ़ रही है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली भारी जीत के बाद लगातार देश के अलग-अलग हिस्सो में हो रहे चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते अब गुजरात कांग्रेस ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नेतृत्व को छोड़ इंदिरा गांधी के सहारे चल पड़ी है.
दरअसल इसी साल के अंत तक गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. पिछले 20 साल से सत्ता से बाहर कांग्रेस इस साल करो या मरो की रणनीति अपना रही है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने पारंपरिक आदिवासी वोटरों के लिए निकाली गई नवर्सजन यात्रा के बैनर में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की तस्वीरें छोटी-छोटी जबकि इंदिरा गांधी की बड़ी तस्वीर लगाई.
कांग्रेस के पारंपरिक वोटरों को लुभाने में जुटी बीजेपी
लंबे वक्त से बीजेपी कांग्रेस के पारंपरिक आदिवासी वोटरों को लुभाती आ रही है. अब कांग्रेस इंदिरा गांधी की तस्वीर के जरिए आदिवासी वोट बैंक को अपने साथ रखने की
कोशिश कर रही है. दिलचस्प बात यह है कि गुजरात के 12 आदिवासी समुदाय वाले जिलों में से कुल 27 विधायक कांग्रेस के है, जहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ भी
है.
राहुल गांधी करेंगे रैली
बीजेपी को 150 सीट जीतने का सपने पुरा करने के लिए इन वोट बैंक को अपने पक्ष में लाना होगा. इसके लिए बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने नेता के तौर पर
पेश कर वोटरों को आकर्षित कर रही है, वहीं कांग्रेस ने इंदिरा की तस्वीर का इस्तेमाल कर आदिवासियों को भावनात्मक रूप से जोड़ने का प्रयास किया है. इसी यात्रा के
समापन के मौके पर राहुल गांधी भी एक मई यानी गुजरात दिवस के दिन एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी अपनी दादी के
नक्शे कदम पर चल पारंपरिक आदिवासी वोटर को कितना लुभा पाते हैं.