गुजरात के मुख्मंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता की जो हैट्रिक लगाई उसमें महिलाओं को बड़ा योगदान रहा लेकिन यह विडम्बना ही है कि इस विकसित प्रदेश के गठन से लेकर आज तक यहां की विधानसभा में महिलाओं की संख्या 10 फीसदी तक भी नहीं हो सकी है जबकि बिहार जैसे पिछड़े राज्य की विधानसभा के पिछले चुनाव में यह आंकड़ा 13 फीसदी को पार कर गया था.
गुजरात में 13वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव ने फिर से महिलाओं को निराश किया. 182 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 16 महिलाएं ही यहां पहुंचने में कामयाब रहीं. यह गुजरात की राजनीति में महिलाओं की स्थिति का कड़वा सच है, जहां राज्य की स्थापना के 60 साल बाद भी किसी भी विधानसभा में महिलाओं की संख्या 16 के आंकड़े को पार नहीं कर पाई है.
गुजरात विधानसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर भाजपा की राष्ट्रीय सचिव वाणी त्रिपाठी से पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'बीजेपी हमेशा से ही महिलाओं को व्यवस्था से जोड़ने की कोशिश करती आई है और हाल के वर्षो में गुजरात में ऐसा देखा भी गया है. यह ठीक है कि अपेक्षाकृत महिलाएं विधानसभा में नहीं पहुंच पाई हैं. लेकिन यह लम्बी प्रक्रिया है. उम्मीद है जल्द ही विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा.'
एक तरफ संसद और विधानसभा में 33 फीसदी महिला आरक्षण की बात कही जाती है लेकिन वहीं गुजरात जैसे राज्य में 1,666 उम्मीदवारों में महिला उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ 91 थी. इन महिला उम्मीदवारों ने कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)जैसी बड़ी पार्टियों सहित गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) की टिकड़ पर चुनाव लड़े थे.
इनमें से कांग्रेस ने 14 और भाजपा ने सिर्फ 16 महिला उम्मीदवार ही मैदान में उतारे. परिणाम की बात करें और बीजेपी की 14 और कांग्रेस की सिर्फ 4 महिला उम्मीदावार ही विधानसभा में अपनी दावेदारी सिद्ध कर पाई जबकि अन्य पार्टियों का खाता भी नहीं खुल पाया. लेकिन इन सबके बावजूद कुछ ऐसी महिलाएं भी थीं जिनकी चर्चा हर तरफ हो रही थी जिन्होंने गुजरात के कद्दावर नेताओं के सामने खड़े होने की हिम्मत दिखाई. निलम्बित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट जिन्होंने कांग्रेस की टिकट पर मणिनगर से मोदी के खिलाफ मोर्चा सम्भाला हालांकि उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा और मोदी ने उन पर 86,373 वोट के बड़े अंतर से जीत हासिल की.
एक अन्य महिला उम्मीदवार गुजरात के पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी नेता दिवंगत हीरेन पांड्या की पत्नी जाग्रुति पांडया जीपीपी के टिकट पर खड़ी हुई थीं जिन्हें बीजेपी के राकेश शाह ने 97,566 वोट से हराया. हालांकि, इस हार के उलट एक दूसरा सच ये भी है कि बीजेपी की महिला उम्मीदवार आनंदी पटेल ने राज्य के सभी उम्मीदवारों से ज्यादा वोट हासिल किये. उन्होंने अहमदाबाद के घाटलोदिया सीट से कांग्रेस के रमेशभाई प्रहलाद भाई पटेल को हराया.
इसके अलावा भाजपा की विभा वरीदवे ने भावनगर पूर्वी सीट से कांग्रेस के राजेश जोशी को 39,508 वोट से ,भाजपा की ही अन्य उम्मीदवार नीमा बेन आचार्य ने भुज से कांग्रेस के अमिर अली हाजी हुसैन को लगभग नौ हजार वोट से हराया. वहीं कांग्रेस की तरफ से सविता बेन खांत ने मोरवा हदफ सीट से भाजपा के बीजलभाई डामोर को हराया.
हालांकि, वोटों की गिनती की दौरान वह बेहोश हो कर गिर पड़ीं और शुक्रवार को अस्पताल में उनका निधन हो गया. कांग्रेस की एक अन्य उम्मीदवार चंद्रिका बेन बारिया ने गरबदा सीट से बीजेपी के महेंद्र बेन राठौर को हराया. गुजरात में महिलाओं की आबादी लगभग ढाई करोड़ है और शायद यही वजह है कि अपनी जीत के बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की महिलाओं के प्रति आभार प्रकट किया है जिन्होंने मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था.
मोदी की इस जीत के बाद अब उनके प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर चर्चा जोरों पर है और कहीं न कहीं उनकी इस दावेदारी को बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से चुनौती मिल रही है और वहीं बिहार की पिछली विधानसभा के नतीजे देखें तो यहां 243 विधानसभा सीट पर 32 महिलाएं काबिज हुई हैं.