गुजरात की टॉप सिंगर गीताबेन रबारी ने आज संसद भवन पहुंच कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. प्रधानमंत्री से मिलने के बाद गीताबेन रबारी काफी खुश नजर आईं और उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री को दिया.
गीताबेन जब स्कूल में पढ़ती थीं उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. सीएम रहते हुए मोदी एक बार उनके स्कूल के एक कार्यक्रम में शामिल हुए जिसमें गीताबेन ने गाना गाया था. गीताबेन का गाना सुन कर मोदी इतने खुश हुए की उन्होंने गीताबेन को इनाम के तौर पर 250 रुपये दिए और कहा आप बहुत अच्छा गाती हैं, प्रैक्टिस करिए.
#WATCH Gujarati folk singer Geeta Rabari dedicates a song to Prime Minister Narendra Modi after meeting him at the Parliament pic.twitter.com/f1Nljc6U8O
— ANI (@ANI) July 8, 2019
मोदी को क्या पता था की जिस बच्ची को उन्होंने प्रेरणा दी, प्रधानमंत्री बनने तक वो गुजरात की टॉप सिंगर्स में शुमार हो जाएगी. गीताबेन रबारी का कहना है कि पीएम मोदी की इसी सीख की वजह से उन्होंने बहुत प्रैक्टिस किया और उसके बाद वो गुजरात की टॉप सिंगरों में शामिल हो गई.
गीताबेन रबारी का गीत रोना शेर मारे गुजरात में काफी पॉपुलर हुआ और उनके इस गीत के 25 करोड़ व्यूज़ हैं. इसके बाद गीताबेन प्रधानमंत्री से मिलने आज संसद भवन पहुंचीं. मोदी से मिल कर गीताबेन काफी खुश हैं और उनका कहना है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात अच्छी रही और उन्होंने आशीर्वाद दिया.
मुलाकात पर गीताबेन कहती हैं, 'जब मैं छोटी थी तो उनसे मिली थी. उस वक्त मैं सिंगर नहीं थी. मैंने केवल स्कूल में गाया था. तब मोदी जी ने मुझे सुना और 250 रुपये इनाम दिया था. उन्होंने कहा था कि आपकी आवाज बहुत अच्छी है, गाने की प्रैक्टिस करते रहिये. उनके प्रोत्साहन पर मैंने रियाज किया और आज मैं गुजरात की टॉप सिंगर हूं. मेरा गीत रोना शेर मारे के 25 करोड़ व्यूज़ पूरे हुए तो उनका आशीर्वाद लेने आई हूं.'
गीताबेन रबारी का कहना है कि हम मालदारी लोग हैं, जो जंगल में रहते हैं. मेरे पापा ने मुझको बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत पढ़ाया. प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ, बेटी पढाओ प्रोजेक्ट के तहत मेरी शिक्षा हुई, अब उनके प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाऊंगी क्योंकि अगर मैं पढ़ी न होती तो इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती.
उन्होंने कहा है, 'मोदी हमारे लिए वो गुरु हैं जिन्होंने लड़कियों को बहुत सम्मान दिया, पहले बहुत भेदभाव रखा जाता. अब हर गुजराती लड़का-लड़की उन्हें पिता समान देखता है. लड़कियां पढ़-लिख कर अपना सपना पूरा कर रही हैं.'