गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार कांड में विशेष एसआईटी अदालत ने शुक्रवार को 11 दोषियों को आजीवन कारावास (मृत्यु तक) की सजा सुनाई है. इसके साथ ही 12 अन्य दोषियों को सात साल जेल की सजा दी गई है, जबकि एक अन्य को 10 साल कैद का हुक्म दिया गया है.
गुजरात में 2002 में गोधरा दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे. इससे पहले अभियोजन पक्ष ने सभी 24 दोषियों द्वारा जेल में बिताई गई अवधि का ब्यौरा सौंपा जो कि अदालत ने मांगा था.
क्या कहा जज ने अपने फैसले में
सजा सुनाते हुए जज ने कहा, 'उम्र कैद की सजा के लिए राज्य के माफी पावर को मैं चैलेंज नहीं करना चाहता, लेकिन मेरी ओर से यह मजबूत सिफारिश है कि सभी 11 दोषी मरने के समय तक जेल में रहें. मैं कैपिटल पनिशमेंट के खिलाफ हूं. ऐसे में यही मेरा फैसला होगा.'
इसके साथ ही जज ने कहा कि 12 आरोपी जो इस दौरान बेल पर थे, उनके ऊपर किसी भी तरह का क्रिमिनल आरोप नहीं है. जिस वजह से उन्हें सात साल कैद की सजा सुनाई जाती है.
Relatives of convicts in Gulberg Case: We will appeal in higher courts. Our relatives are innocent. pic.twitter.com/YArOTprUxi
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड के 24 दोषियों की सजा पर फैसला बीते सोमवार को भी टल गया था. अहमदाबाद की विशेष अदालत ने इस मामले में 36 लोगों को बरी कर दिया था.
पिछली सुनवाइयों में सजा सुनाने से पहले कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की अंतिम दलीलें सुनी थीं, जिसमें सरकारी वकील और पीड़ितों के वकील ने दोषियों को ज्यादा से ज्यादा सजा सुनाने की अपील की थी, जबकि दोषियों के वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की.
सजा के ऐलान पर बोलीं जाकिया- लड़ाई अभी बाकी
Zakia Jafri: After so many people died, that's all the court could decide? just 12 guilty? I will have to fight this pic.twitter.com/Jr4VDp3fCh
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
We welcome the verdict but we are disappointed, on the lesser sentence. : Teesta Setalvad on Gulbarg Case verdict pic.twitter.com/TnTjE0xm4n
— ANI (@ANI_news) June 17, 2016
पहले 6 जून को होना था सजा का ऐलान
गुलबर्ग सोसाइटी मामले के एक आरोपी कैलाश धोबी ने सोमवार को सरेंडर कर दिया था. वह इस साल जनवरी से फरार चल रहा था. पहले इस मामले में 6 जून को सजा का ऐलान होना था, लेकिन कोर्ट ने जिरह पूरी न हो पाने की वजह से बाद में फैसला सुनाने के लिए 9 जून की तारीख तय की थी. हालांकि उस दिन भी सजा का ऐलान नहीं किया जा सका.
साल 2009 में शुरू हुई थी सुनवाई
गुलबर्ग मामले की सुनवाई साल 2009 में शुरू हुई थी, उस समय 66 आरोपी थे. इनमें से चार की पहले ही मौत हो चुकी है. कोर्ट ने जिन 36 आरोपियों को बरी किया उनमें बीजेपी का पार्षद भी शामिल है. दंगे में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने कहा कि वह इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थीं. उन्होंने खुशी जताई और कहा कि सभी अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए. एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने भी कहा कि उन्हें कोर्ट से बहुत उम्मीदें हैं.
क्या है गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार?
गोधरा कांड के अगले दिन यानी 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में दंगा हुआ था. इस दंगे में कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की भी मौत हुई थी. हमले में जाफरी सहित 69 लोगों की जान गई थी.