गुजरात में एक शानदार पहल हुई है. गुजरात विधानसभा में पारित नए कानून के तहत अब नगर निगम समेत स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक प्रत्याशी को ये साबित करना पड़ेगा कि उसके घर में शौचालय है कि नहीं. यदि प्रत्याशी इसमें असफल रहता है तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा .
सोमवार को गुजरात विधानसभा में एकमत से गुजरात स्थानीय प्राधिकरण कानून (संशोधन) 2014 को पास कर दिया गया. सदन पटल पर इस कानून को रखते हुए सड़क और भवन निर्माण मंत्री नितिन पटेल ने कहा कि स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने वालों को इस संबध में एक एफेडेविट देना होगा कि उनके घर में शौचालय है. जिन प्रत्याशियों के घर में शौचालय नहीं है वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. वैसे प्रत्याशी जो स्थानीय चुनाव जीत चुके हैं और वर्तमान में किसी पद पर हैं उन्हें भी छह महीनों के भीतर एक सर्टिफिकेट जमा कराना होगा कि उनके घर में शौचालय है .'
इस बिल में दो और संशोधन किए गए हैं. पहले संशोधन के तहत अगर स्थानीय निकाय में कोई पद खाली हो जाता है तो छह महीने के भीतर वहां चुनाव कराना अनिवार्य होगा. पहले तीन महीने के अंदर चुनाव कराना अनिवार्य था. एक और संशोधन के अनुसार गांव घोषित करने के लिए जनसंख्या की न्यूनतम अहर्ता तय की गई है. गांव ऐसे ही इलाके को घोषित किया जा सकता है जहां की आबादी कम से कम 25 हजार हो. इससे पहले ये संख्या 15 हजार थी जो 1991 की जनसंख्या के आधार पर तय की गई थी.