गुजरात में कोरोना महामारी को लेकर रूपाणी सरकार की दोहरी नीति देखने मिल रही हैं. एक ओर होली के मौके पर कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जश्न मनाने पर पाबंदी लगाई गई है. वहीं दूसरी ओर पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को लोगों के लिए खुला रखा है. जबकि आम तौर पर सोमवार को मेंटेंस के लिए इसे लोगों के लिए बंद रखा जाता है. लेकिन इस बार होली की वजह से इसे खुला रखा गया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग यहां घूमने आएं.
इससे पहले गुजरात सरकार के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने होली को लेकर संदेश जारी करते हुए कहा था कि गुजरात के लोग, सिर्फ होलिका दहन मना सकते हैं, वह भी सीमित लोगों के साथ. लेकिन रंगों का त्योहार धुलेटी नहीं मनाया जा सकता है.
नितिन पटेल ने कहा कि होली धुलेटी के त्योहार में धार्मिकता के साथ होली को जलाने की हम मंजूरी देंगे, लेकिन धुलेटी के मौके पर किसी को भी एक दूसरे पर रंग डालने, एक साथ कई लोगों के इकट्ठा होने को किसी भी हालत में मंजूरी नहीं दी जाएगी. धार्मिक तौर पर सिर्फ होलिका दहन को ही मंजूरी दी जाएगी. उसमें भी मर्यादित लोग ही इकट्ठा हो सकते हैं.
प्रदेश सरकार ने गुजरात के चार शहर अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, वडोदरा में कोरोना के संक्रमण पर रोक लगाने के लिए रात्रि कर्फ्यू लगा दिया है. लेकिन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर बने टेंट सीटी में बुकिंग जारी है. ये बुकिंग आम दिनों से भी ज्यादा हो रही है. साथ ही यहां आसपास बने होटलों में भी होली सेलिब्रेशन के लिए स्पेशल पैकेज दिए जा रहे हैं. इस वजह से कई टूरिस्ट, इस पैकेज को बुक करवा रहे हैं.
ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि जब गुजरात में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से रात्रि कर्फ्यू तक लगा दिया गया है, सीटी बस को बंद दिया गया है, मॉल और गार्डन को बंद किया गया है तो क्या स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कोरोना प्रूफ है. क्या यहां आने वाले लोगों को कोरोना का संक्रमण नहीं होगा? अगर यहां आने वाले पर्यटकों को कोरोना का संक्रमण हुआ तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?