नरेंद्र मोदी का कहना है कि 2002 के गुजरात दंगों का उन्हें दुख है लेकिन कोई अपराध बोध नहीं है. उन्हों ने यह भी कहा कि वह तब इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन उनकी पार्टी ने ऐसा नहीं करने दिया.
उन्होंने कहा कि वह दंगों के बाद से 12 साल सार्वजनिक तौर पर 'मोदी आलोचना' का सामना करते रहे लेकिन उन्होंने निर्णय किया कि मीडिया को अपना काम करने दें और कोई टकराव नहीं करें. बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा, 'मैंने कभी टकराव में अपना समय नहीं गंवाया.' ब्रिटेन के लेखक और टीवी प्रोड्यूसर एंडी मारिनो लिखित हाल में प्रकाशित जीवनी में यह बात कही गई है.
पुस्तक के अनुसार 2002 के दंगों पर मोदी ने कहा, 'जो हुआ मुझे उसका दुख है लेकिन कोई अपराध बोध नहीं है. और कोई अदालत यह स्थापित करने (दंगों में उनकी भूमिका) के करीब भी नहीं पंहुची.' इस 310 पृष्ठीय जीवनी में यह खुलासा भी किया गया है कि मोदी दंगों के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहते थे लेकिन पार्टी ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा.
मारिनो ने कहा, 'बीजेपी के दिग्गज नेता ने संभवत: पहली बार ऑन रिकॉर्ड इंटरव्यू में बताया कि वह दंगों के बाद मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहते थे क्योंकि उन्होंने फैसला किया कि यह राज्य की जनता के साथ अन्याय होगा, जो उनके कारण भारी आलोचना का शिकार बनी. उनके अनुसार मोदी ने गोधरा घटना के बाद हुए दंगों के लगभग एक महीने पश्चात 12 अप्रैल 2002 को पणजी में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री पद से हटने का निर्णय किया.
मोदी की आम तौर पर प्रशंसा करने वाली इस पुस्तक में कहा गया कि गुजरात के मुख्यमंत्री ने पणजी बैठक में कहा, 'मैं गुजरात के बारे में कुछ कहना चाहता हूं. पार्टी के नजरिए से यह एक गंभीर मुद्दा है.' पुस्तक के अनुसार मोदी ने कहा, 'इस मुद्दे पर बेबाक चर्चा की आवश्यकता है. ऐसा होने के लिए, मैं इस्तीफा देना चाहूंगा. यह समय इस बारे मैं निर्णय करने का है कि इस बिंदु से पार्टी और देश किस दिशा में जाना चाहिए.'
मुख्यमंत्री ने मारिनो से कहा, 'मैं इस पद से हटना चाहता था लेकिन मेरी पार्टी मुझे छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी, गुजरात के लोग मुझे छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे...मैं ऐसी स्थिति में था.
मोदी ने लेखक से कहा, 'यह मेरे उपर निर्भर नहीं था. मैं पार्टी अनुशासन के खिलाफ जाने को तैयार नहीं था, मैं अपनी पार्टी से नहीं लड़ना चाहता था. मेरे नेता जो कहें, मुझे उसका पालन करना चाहिए.' गुजरात के मुख्यमंत्री ने 27 फरवरी, 2002 की सुबह मुख्यत: अयोध्या से कार्यसेवकों को लेकर आ रही ट्रेन पर गोधरा में हुए हमले के बाद से उत्पन्न स्थिति से किस तरह निपटे इसकी कुछ विस्तृत जानकारी दी. गोधरा के ट्रेन हादसे में 59 लोग जिंदा जल गए थे.