गुजरात के सरकारी स्कूलों की स्थिति का अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां के 700 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में एक-एक शिक्षक सभी विषयों को पढ़ा रहे हैं. ये सभी स्कूल कक्षा 1 से कक्षा 7 तक हैं. विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक ने सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या के बारे में पूछा था. इस पर सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है.
कांग्रेस सरकार पर हुई हमलावर
सरकार द्वारा हैरान करने वाले आंकड़े जारी करने के बाद कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गयी. उसने कहा कि छात्रों द्वारा प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोड़कर जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि स्कूलों में शिक्षक ही नहीं हैं.
कच्छ में स्कूलों के हालात बहुत बुरे
इंडिया टुडे ग्रुप के पास जो डेटा उपलब्ध हैं उससे पता चला कि कच्छ में 100 ऐसे प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक है. वहीं सूरत में 43, वडोदरा में 38, महिसागर में 74, वलसाड में 20, गांधीनगर में 9 और अहमदाबाद में ऐसी स्कूलों की संख्या 4 है.
कोरोना की वजह से बिगड़ गए हालात
गुजरात सरकार के सूत्रों ने स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर सफाई देते हुए बताया कि पिछले दो वर्षों से कोरोना वायरस का प्रकोप है, कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो गए हैं, कई शिक्षकों की कोरोना वायरस के कारण मृत्यु हो गई और कुछ का तबादला हो गया. इसके अलावा कई पद रिक्त भी हैं, जिन्हें जल्द भरा जाएगा.
दो साल में बंद कर दिए गए 86 स्कूल
सरकार ने यह भी बताया कि पिछले दो वर्षों में गुजरात में 86 प्राथमिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं. वहीं 491 अन्य को मर्ज कर दिया गया. सबसे ज्यादा स्कूल जूनागढ़ जिले में बंद हुए हैं.