देश में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है. हर दिन आने वाले नए केसों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि सरकारी संस्थाएं बढ़ते केसों का ठीकरा टेस्टिंग में की गई बढ़ोतरी पर फोड़ रही हैं. इस बीच एक खबर ये भी है कि कोरोना संक्रमण के चलते ऑक्सीजन की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. इसी वजह से गुजरात सरकार ने प्रतिदिन 350 टन स्टॉक रिजर्व रखने का आदेश दिया है.
कोरोना वायरस के संक्रमितों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए गुजरात में ऑक्सीजन की कमी ना हो, इसलिए राज्य सरकार ने गुजरात में उत्पादित ऑक्सीजन के स्टॉक में से प्रतिदिन 350 टन स्टॉक रिजर्व रखने का आदेश दिया है. बता दें कि गुजरात में कोरोना मरीजों की तादाद अब 1 लाख को पार कर गई है.
गौरतलब है कि गुजरात से राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में ऑक्सीजन के सिलेंडर सप्लाई होते हैं. राज्य में प्राइवेट कंपनियों के द्वारा प्रतिदिन 750 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. पिछले कुछ वक्त से पड़ोसी राज्यों से ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई है. गुजरात में अभी कोरोना के एक्टिव केसों की संख्या 16 हजार के पार हो गई है. इसलिए गुजरात में कोरोना हॉस्पिटलों में प्रतिदिन 200 टन से बढ़कर 300 टन ऑक्सीजन की डिमांड हो गई है.
गुजरात सरकार के डिप्टी मुख्यमंत्री और हेल्थ मिनिस्टर नितिन पटेल के मुताबिक उन्होंने ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली कंपनियों को आदेश दिया है कि, 50 प्रतिशत ऑक्सीजन हॉस्पिटल के लिए रिजर्व रखा जाए.
ऐसे हालात में गुजरात के मरीजों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम नहीं हो, इसलिए गुजरात सरकार ने आवश्यक चीज और एपेडेमिक एक्ट के तहत यह फैसला किया है. फिलहाल कोरोना की इस परिस्थिति में प्रतिदिन गुजरात में 300 टन यानि की 30 टैंक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए गुजरात सरकार ने 350 टन ऑक्सीजन आरक्षित रखने को कहा है. इसके अलावा अन्य स्टॉक अन्य राज्यों में भेजा जा सकेगा.
गौरतलब हे की राज्य में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ जाने के कारण इसकी कीमतों में भी तीस प्रतिशत का उछाल आया है. फरवरी में एक लीटर ऑक्सीजन की कीमत साढ़े आठ रुपए थी, जो कि इन दिनों बढ़कर 25 रुपए तक हो गई है. कोरोना के पहले 15 से 20 बोतल ऑक्सीजन का उपयोग होता था जो कि बाद में बढ़कर 150 तक पहुंच गया है.