गुजरात में हमले और राज्य छोड़कर जाने की मिल रही धमकियों के चलते उत्तर भारतीयों में खौफ है और वह अपना सबकुछ छोड़कर राज्य छोड़ने को मजबूर हैं. उत्तर भारतीयों के पलायन ने गुजरात के उद्योग-धंधों की कमर तोड़कर रख दी है. पलायन का सबसे ज्यादा असर अहमदाबाद , महेसाना और साबरकांठा की इंडस्ट्रीज पर हो रहा है.
अहमदाबाद के वटवा जीआईडीसी में कई वर्षों से लोहे के मशीन बनाने वाली कंपनी में करीब 50 से ज्यादा लोग काम करते हैं. जिसमें सभी मजदूर यूपी और बिहार से हैं.
पिछले तीन-चार दिनों में बाहरी लोगों को धमकियां मिलने के बाद से इस फैक्ट्री में महज पांच मजदूर काम करने आए हैं. जिसकी वजह से फैक्ट्री मालिक काफी परेशान हैं.
फैक्ट्री मालिक का कहना है कि आमतौर पर 8-9 तारीख को मजदूरों को तनख्वाह दी जाती है, लेकिन जिस तरह ये बातें फैली कोई मजदूर अपनी तनख्वाह लेने तक नहीं रुका.
यही हाल अहमदाबाद के ज्यादातर रोलिंग मिल और लोहे के कारखानों का है, जिनमें 90 प्रतिशत उत्तर भारतीय ही काम करते हैं.
बड़ी तादाद में हुए पलायन की वजह से अब फैक्ट्री मालिकों की परेशानी ये है कि दीवाली पर उन्हें अपने ऑर्डर पूरे करने हैं. अब मजदूरों की कमी के चलते ये ऑर्डर कैसे पूरे होंगे?
गैर गुजराती लोगों में इतना डर है कि वे शाम पांच बजे ही अपने घरों की और निकल जाते हैं. पुलिस भी अहमदाबाद में उत्तरभारतीय बहुल रिहायशी और काम करने की जगहों पर लगातर गश्त कर रही है.
साथ ही जो मजदूर यहां अभी रुके हुए हैं और काम करने फैक्ट्रियों में आ रहे हैं, उनसे मिलकर समझाइश दी जा रही है कि पुलिस आपकी सुरक्षा में तैनात है. बावजूद इसके दहशत में रह रहे उत्तर भारतीयों का पलायन जारी है.