गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह को इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर केस में बड़ी राहत मिल सकती है. सूत्रों के मुताबिक, मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सप्लिमेंटरी चार्जशीट में अमित शाह को आरोपी नहीं बनाया है.
इशरत जहां मुठभेड़ मामले में अमित शाह की भूमिका के सवाल पर सीबीआई के सीनियर अधिकारियों ने साफ किया कि कानूनी तौर पर ऐसे तर्कसंगत सबूत नहीं हैं, जिनके आधार पर उन्हें चार्जशीट में आरोपी के तौर पर नामित किया जाए.
सूत्रों ने कहा कि अमित शाह का नाम एक मुख्य आरोपी डीजी वंजारा के इस दावे के बाद सामने आया कि पूर्व मंत्री ने उन्हें तथा अन्य पुलिस अधिकारियों को धोखा दिया, जिनके खिलाफ सीबीआई ने विभिन्न मुठभेड़ मामलों में मामला दर्ज किया. सीबीआई ने हाल में इशरत जहां मुठभेड़ मामले में बीजेपी महासचिव अमित शाह से पूछताछ की थी.
बाद में, सीबीआई ने एक बयान जारी करके कहा कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले के सप्लिमेंटरी चार्जशीट पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. सीबीआई प्रवक्ता कंचन प्रसाद ने कहा कि सप्लिमेंटरी चार्जशीट पेश करने को लेकर अब तक कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. यह मामला अब भी विचाराधीन है.
इससे पहले, इशरत मामले में सप्लिमेंटरी चार्जशीट को अंतिम रूप दिए जाने के बीच सीबीआई ने कानून मंत्रालय से राय मांगी. सीबीआई ने पूछा कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोगी अमित शाह को नामित नहीं करने की साजिश में खुफिया विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी की जरूरत है या नहीं.
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि उन्होंने मुठभेड़ के पीछे की साजिश में आईबी अधिकारियों की भूमिका के बारे में पर्याप्त सबूत जुटाए हैं, लेकिन इस बात को लेकर विरोधाभासी विचार हैं कि विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार (अब सेवानिवृत्त) और तीन अन्य अधिकारी पी मित्तल, एमके सिन्हा और राजीव वानखेड़े के खिलाफ अभियोजन के लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत है या नहीं.
उन्होंने कहा कि एक नजरिया यह है कि चूंकि कुमार कथित अपराध के समय सक्रिय तौर पर सेवा में थे, इसलिए गृह मंत्रालय से उनके खिलाफ अभियोजन के लिए मंजूरी की जरूरत है.
सूत्रों ने कहा कि एक अन्य राय यह है कि चूंकि वे इस साल जुलाई में रिटायर हो चुके हैं, तो एजेंसी अभियोजन के लिए मंजूरी मांगे बगैर अपने आरोपपत्र के साथ आगे बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि एजेंसी आधी-अधूरी स्थिति के साथ आगे नहीं बढ़ सकती, इसलिए मामले में स्पष्टता के लिए इसे कानून मंत्रालय के पास भेजा गया है.
सूत्रों ने कहा कि कथित साजिश में जहां तक अधिकारियों की भूमिका की बात है, एजेंसी ने उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटा लिए हैं. उन्होंने कहा कि अगर कानून मंत्रालय को लगता है कि सप्लिमेंटरी चार्जशीट दायर करने से पहले गृह मंत्रालय की मंजूरी की जरूरत है, तो सीबीआई कथित अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मांगने का आग्रह कर सकती है. हालांकि अगर मंत्रालय को इसके उलट लगता है, तो एजेंसी अपने सप्लिमेंटरी चार्जशीट के साथ आगे बढ़ेगी.