9 साल की जांच के बाद सीबीआई इशरत जहां केस में चार्जशीट फाइल करने वाली है. खबर है कि ये चार्जशीट गुजरात के मुख्यमंत्री के लिए खास मुश्किल नहीं खड़ी करने वाली. इस चार्जशीट में ना तो उनका नाम होगा और ना ही उनके करीबी अमित शाह का.
9 साल बाद केस की जांच यहां तक पहुंची कि सीबीआई अब चार्जशीट दाखिल करने वाली है. लेकिन अब भी सवाल ये है कि क्या इस चार्जशीट में बड़े नाम होंगे?
सूत्रों से जो खबर मिली है उसके मुताबिक सीबीआई अपनी पहली चार्जशीट में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आरोपी नहीं बनाएगी. मोदी के करीबी माने जाने वाले अमित शाह का नाम भी चार्जशीट से नदारद होगा.
हाल ही में सीबीआई ने इस मामले में आईबी के अधिकारी राजेंद्र कुमार से भी पूछताछ कर हड़कंप मचा दिया था. पहली बार खुफिया जानकारियों को लेकर दो केंद्रीय एजेंसियों की तकरार खुलकर सामने आई थी. खबर है कि गृहमंत्रालय के दखल के बाद अब सीबीआई, आईबी अधिकारी राजेंद्र कुमार का नाम भी अपनी चार्जशीट में नहीं डालेगी.
बताया जा रहा है कि सीबीआई नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राजेंद्र कुमार के खिलाफ अभी और पुख्ता सबूत इकट्ठा करना चाहती है. सूत्रों की मानें तो जिन अधिकारियों पर सीबीआई फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगाने वाली है उनमें आईपीएस अधिकारी जी एल सिंघल, आईपीएस अधिकारी डी जी वनजारा, डिप्टी एसपी नरेंद्र अमीन, पुलिस अधिकारी जी जे परमार, फरार आईपीएस अधिकारी पी पी पांडे, डिप्टी एसपी तरुण बारोट और आईपीएस अधिकारी के आर कौशिक का नाम शामिल है.
दरअसल 15 जून 2004 को अहमदाबाद के नरोडा इलाके में इशरत और उसके तीन दोस्तों को पुलिस ने मार गिराया था. गुजरात पुलिस का दावा था कि ये चारों मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से आए थे और वो मुठभेड़ में मारे गए थे. सीबीआई ये साबित करने की कोशिश में भी जुटी है कि ये मुठभेड़ फर्जी थी औ इसकी जानकारी मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके करीबी अमित शाह को पहले से थी.
सीबीआई का दावा है कि उनके पास पुलिस के कुछ ऐसे गवाह भी हैं जिनके पास वो रिकॉर्डिंग है जिसमें डीजी वनजारा ने आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार को इशारों में बताया था कि मोदी और अमित शाह को मुठभेड़ की पूरी जानकारी है. जाहिर है ये खुलासे मोदी की मुश्किल बढ़ा सकते हैं.