दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने 14 अप्रैल यानी डॉक्टर बाबा साहब अंबेडकर की जंयती के मौके पर दलितों के न्याय के लिए हाईवे जाम करने का ऐलान किया था. लेकिन अब जिग्नेश ने अपना ये आंदोलन वापस ले लिया है. दरअसल जिग्नेश मेवाणी का कहना था कि कच्छ के दलितों के साथ अन्याय हुआ हैं. कच्छ के रापर तहसील में दलित और कोली समाज को पिछले 30 सालों में सरकार से उनके हक की जमीन नहीं मिली है.
जिग्नेश मेवाणी के आंदोलन के ऐलान के बाद शुक्रवार को कच्छ के कलेक्टर ने दलितों को एक ही दिन में 100 एकड़ से ज्यादा जमीन का कब्जा दिया. जिग्नेश ने इसे दलित आंदोलन की जीत करार दिया है.
बता दें, 22 जनवरी को ही जिग्नेश मेवाणी ने कलेक्टर को और उससे दो दिन पहले गुजरात के चीफ सेक्रेटरी को ज्ञापन दिया था. इसमें ये बताया गया था कि 1984 में सरकार के जरिए जो जमीन किसानों को दी गई थी, उस जमीन का कब्जा अभी तक किसानों को नहीं मिला है. किसानों की जमीन को लेकर जो मांग चली आ रही है, वो उन्हें दे दी जाए, वरना वो सामख्याली हाईवे जाम करेंगे.
1984 में सरकार के जरिए दलित और कोली समाज को जमीन दी गई थी, लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें जमीन का कब्जा नहीं सौंपा जा रहा था. सरकारी कागजों के मुताबिक दलित समाज को 3,300 एकड़ जमीन सौंपी जा चुकी है, जबकि कोली समाज को 2400 एकड़ जमीन सौंपी गई है. लेकिन यह जमीन दलितों और कोली समाज के लोगों को नहीं मिली.