अहमदाबाद से निकलकर अस्मिता यात्रा रविवार को गुजरात के ऊना में पहुंची और सोमवार को यहां झंडा लहराया. झंडा लहराने के बाद अस्मिता यात्रा जहां से निकली वहां भारी ट्रैफिक जाम लगा. पुलिस को स्थिति को काबू में करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी.
दलित अस्मिता रैली में उमड़ी भीड़
अस्मिता यात्रा में सोमवार को भारी संख्या में दलित उमड़े. दलितों के साथ बड़ी तादाद में इस दलित अस्मिता रैली में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए. जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारों की वजह से चर्चा में आए कन्हैया
कुमार और हैदराबाद यूनिवर्सिटी में आत्महत्या करने वाले दलित छात्र रोहित वेमुला की मां भी अस्मिता रैली में शामिल हुईं.
रैली में दलितों को दिलाई शपथ
26 साल के नेता जिगनेश मेवानी के नेतृत्व में 14 अगस्त को निकली इस यात्रा में बड़ी तादाद में लोग अहमदाबाद से ही शामिल हुए. हालांकि जैसे-जैसे यात्रा आगे चल रही थी लोग इसमें हिस्सा लेते जा रहे थे. जिगनेश
ने दलित अस्मिता सभा में इकट्ठे हुए सभी दलितों को शपथ दिलाते हुए कहा कि अबसे वह मृत जानवरा का चमड़ा निकालने का काम नहीं करेंगे. ना ही वो गटर साफ करने का काम करेंगे. जिगनेश ने कहा कि दलित
अब ये काम छोड़ना चाहते हैं. उन्हें भी कानून के तहत पांच एकड़ जमीन चाहिए. जिससे दलित खेती करके अपनी इज्जत की रोजी रोटी कमा सकें. साथ ही जिगनेश ने ये भी कहा कि अगर दलित को सरकार उसका हक
नहीं दिला सकती तो आने वाले दिनों में दलित पूरे देश में सड़कों पर उतरेंगे.
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
जिगनेश ने प्रधानमंत्री पर भी आरोप लगाया कि अब तक दलितों पर प्रधानमंत्री चुप क्यों थे. गुजरात में जब उनके नेतृत्व में ही तीन दलितों पर थानगढ़ में गोली चलाई थी तब क्यों प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोले थे. पीएम
अब क्यों दलितों की बात कर रहे हैं.
मोदी का गुजरात विकास मॉडल खोखला
जेएनयू में देश विरोधी नारों के चलते चर्चा में आए कन्हैया कुमार भी इस दलित अस्मिता रैली में पहुंचे. कन्हैया ने कहा कि ऊना में जिस तरह दलितों को मृत जानवरा का चमड़ा निकालते वक्त बर्बरता से पीटा गया है
वह दिखाता है कि मोदी जी जिस गुजरात के विकास मॉडल की बात करते थे वो कहां है. गुजरात मॉडल की बात खोखली है. हमें आजादी के मौके पर मोदीवाद और मनुवाद से आजादी चाहिए.
रोहित वेमुला की मां भी हुईं रैली में शामिल
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में आत्म हत्या करने वाले रोहित वेमुला कि मां राधिका ने कहा कि दलित के बच्चे कब तक अपनी जान खोते रहेंगे. साथ ही राधिका ने ये भी कहा कि मैंने अपने बेटे को खोया है. अब ऐसे हालात
बनाने होंगे कि किसी भी रोहित को अपने हक के लिए अपनी जान ना देनी पड़े.