कोरोना से मौत हुई है लेकिन डेथ सर्टिफिकेट पर इसका कोई जिक्र नहीं है. कई परिजन शिकायत कर रहे हैं कि उनके रिश्तेदार की मौत कोरोना से हुई है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की तरफ से डेथ सर्टिफिकेट पर इसका जिक्र नहीं किया गया. इसी वजह से कई परिवार सरकारी सहायता से वंचित रह रहे हैं. जो बच्चे अनाथ हो गए हैं, उनके लिए तो ये ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है.
अनाथ बच्चों को कैसे मिल पाएगी सहायता?
ऐसा ही एक मामला गुजरात से सामने आया है जहां पर एक परिवार के तीन लोगों की कोरोना से मौत हुई. दो भाई चल बसे और एक की पत्नी ने भी दम तोड़ दिया. ये सबकुछ सिर्फ मई महीने के भीतर ही हो गया, ऐसे में परिवार पर दुखों का बड़ा पहाड़ टूटा.
बताया गया कि रमेश परमार और बिपिन परमार को कोरोना हुआ था और उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. इसके बाद रमेश की पत्नी मीनाक्षी को भी अस्पताल में एडमिट करवाने की नौबत आ गई और देखते ही देखते तीनों ने दम तोड़ दिया और घर पर बैठे पांच बच्चे अनाथ हो गए. इस समय इन बच्चों का ख्याल उनके चाचा रख रहे हैं जिनके पहले से तीन बच्चे हैं. ऐसे में अब कोरोना काल में आठ बच्चों का पालन-पोषण करना परिवार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है.
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कैसे साबित हो-कोरोना से मौत?
परिवार ने अपील की है कि उन्हें कागज पर लिखकर दिया जाए कि उनके परिजनों की मौत कोरोना से हुई है. ऐसे में उन्हें सरकारी सहायता भी मिल जाएगी और समय रहते परिवार को भी संभाल लिया जाएगा. लेकिन अभी के लिए सिर्फ अपील की गई है, कोई समाधान देखने को नहीं मिल रहा है.
वैसे भी ये अकेला ऐसा परिवार नहीं है जहां पर ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. इस समय हर राज्य से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जहां पर पहले तो परिवार ने अपनों को खो दिया है और बाद में मौत के कारण पर भी सफाई देनी पड़ रही है. अब सरकार इस कागजी काम को कैसे आसान बनाती है, इस पर सभी की नजर रहने वाली है.