गुजरात में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात से पहले अहमदाबाद में निकल रही बेरोजगार यात्रा ने राज्य सरकार की नींद हराम कर दी है. गुजरात की राजनीति में उभर कर निकल रहे कई युवा नेता जो कि दलित, पाटीदार, ओबीसी समुदाय की अगुवाई करते है सभी इस यात्रा के मद्देनजर एक मंच पर आए है. इस यात्रा को वाइब्रेंट गुजरात के ठीक 4 दिन पहले यानि 6 जनवरी को आयोजित किया जाएगा. इस यात्रा में 'गुजराती को रोजगार नहीं तो वाइब्रेंट नहीं' का नारा दिया गया है.
इस यात्रा के लिए ओबीसी नेता अल्पेश, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल के करीबी वरुण पटेल एक साथ होंगे. अभी तक अलग धड़ों में बंटे इन नेताओं का एकजुट होना राज्य की विजय रूपानी सरकार की चिंता बढ़ा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जनवरी को वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन का उद्घाटन करने वाले हैं. जिससे पहले वह गुजरात में कई कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे. इनके दावों के मुताबिक 7 लाख युवा बेरोजगारों की नौकरी के लिए कुछ ठोस घोषणा करनी होगी इतना ही नहीं वाइब्रेंट गुजरात के तहत गुजरात में निवेश करने वाली कंपनियों में 75 फीसदी गुजरातियों को रोजगार देना होगा, यह मांग स्वीकार नहीं करने पर बहुचराजी से अहमदाबाद तक यात्रा निकाली जायेगी.
ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने कहा कि गुजरात के अंदर 7 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार है, गुजरात के अंदर जो कंपनियां आ रही है उनसे गुजरातियों को नौकरी नहीं मिल रही है. हमारा मुद्दा इन सभी को रोजगार दिलवाना है. वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने कहा कि अगर अगले 90 दिन में 3 लाख युवाओं को रोजगार नहीं दिया गा तो वह वाइब्रेंट गुजरात का विरोध करेंगे.
निकल सकती बीजेपी के दावों की हवा
दरअसल यह आंदोलन वाइब्रेंट गुजरात की एक ऐसी तस्वीर पेश करता है जिससे सत्ता पार्टी बीजेपी के दावों की हवा निकल सकती है. ये सम्मेलन राज्य में निवेश बढ़ाने और रोजगार उपलब्ध कराने के मकसद से किया जाता है. लेकिन उस सम्मेलन से ठीक पर ये बेरोजगार यात्रा और बेरोजगारी के आंकड़े सरकार के लिए परेशानी का सबब हैं. राज्य की रुपानी सरकार के लिए तकलीफ इसलिए भी है क्योंकि 8वें वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में अन्तरराष्ट्रीय नेताओं से लेकर प्रधानमंत्री तक शिरकत करने वाले हैं. ऐसे मैं कोई भी बड़ा आंदोलन कानून व्यवस्था पर सवाल भी खड़े कर सकता है.
राज्य की बीजेपी सरकार के कार्यकाल में ये पहला सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम है. इस हालत में सरकार किसी भी तरह की किरकिरी से बचना चाहती है जबकि युवा नेता ठोस कदम की मांग के पर अड़े हुए हैं. पाटीदार नेता वरुण पटेल ने कहा है कि बेरोजगारी पाटीदारों में भी है, दलितों मैं भी है, ओबीसी भी बेरोजगार हैं और आदिवासी भी बेरोजगार हैं. हम इसलिए साथ में आए हैं. सबको रोजगार होगा तो कोई आंदोलन ही नहीं करेगा.
सरकार के खिलाफ शुरू किए गए इस आंदोलन को बाकी जातियों के भरपूर समर्थन का भी दावा किया जा रहा है. ऐसे में सरकार इसे रोकने के लिए हर मुमकिन करने की कोशिश में लगी है.