scorecardresearch
 

GPP ने RTI से किया खुलासा, 'सद्भावना उपवास के दौरान मोदी ने गुजरात को ठगा'

गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के दावों पर विरोधी अकसर सवाल उठाते रहते हैं. अब आरटीआई से हासिल सूचना के जरिये गुजरात परिवर्तन पार्टी ने मोदी को फेंकू ठहराना शुरू कर दिया है. मुद्दा बना है सद्भावना उपवास के दौरान गुजरात के विभिन्न जिलों के लिए स्पेशल पैकेज का एलान, जिसकी फूटी कौड़ी अब तक कहीं नहीं पहुंची है.

Advertisement
X
GPP नेता गोवर्धन झड़पिया और मोदी
GPP नेता गोवर्धन झड़पिया और मोदी

गुजरात सीएम नरेंद्र मोदी के दावों पर विरोधी अकसर सवाल उठाते रहते हैं. अब आरटीआई से हासिल सूचना के जरिये गुजरात परिवर्तन पार्टी ने मोदी को फेंकू ठहराना शुरू कर दिया है. मुद्दा बना है सद्भावना उपवास के दौरान गुजरात के विभिन्न जिलों के लिए स्पेशल पैकेज का एलान, जिसकी फूटी कौड़ी अब तक कहीं नहीं पहुंची है.

Advertisement

आरटीआई दस्तावेजों के जरिये नरेंद्र मोदी को फेंकू साबित करने के लिए सामने आए हैं गुजरात परिवर्तन पार्टी के नेता गोवर्धन झड़पिया. झड़पिया के मुताबिक सद्भावना उपवास के दौरान मोदी ने गुजरात के हर जिले में विकास के लिए स्पेशल पैकेज का एलान किया था, लेकिन आरटीआई से ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि किसी जिले को स्पेशल पैकेज मिला ही नहीं.

गौरतलब है कि मोदी ने सद्भावना उपवास के दौरान साबरकंठा के लिए 2380 करोड़, अमरेली के लिये 1004 करोड़, दाहोद के लिये 1583 करोड़, मेहसाना के लिये 2500 करोड़, पोरबंदर के लिये 281 करोड़, जामनगर के लिये 3500 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज देने का एलान किया था. कुल मिलाकर मोदी ने उस वक्त 39,769 करोड़ के स्पेशल विकास पैकेज की घोषणा अपने सद्भावना मंच से की थी.

Advertisement

इस मामले में आजतक ने जब गुजरात सरकार का पक्ष जानना चाहा तो सरकार ने साफ कह दिया कि ये कोई स्पेशल पैकेज नहीं था. ये वही रकम थी जो जिलों को अनुदान में दिया जाता है.

यानी, इसका मतलब ये है कि मोदी ने पुराने फंड को नया नाम देकर वाहवाही लूटने की कोशिश की. आरटीआई से सद्भावना उपवास पर पानी की तरह पैसा बहाने का भी खुलासा हुआ है.

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक सद्भभावना मंच तक गांव से लोगों को लाने के लिए करीब साढ़े आठ करोड़ रुपये का खर्च हुआ है, हर जिले में मंच के लिए पौने चार करोड़ का खर्च हुआ.

गोवर्धन झड़पिया ने कहा, '2001 में जब से गुजरात में वो सरकार में आये हैं, अगर आप पार्टी का मेनीफेस्टो भी देखें तो उसमें भी कई ऐसे बडे़-बडे़ शब्दों का इस्तेमाल किया है जो आम इंसान कि समझ के ही बाहर रहते हैं, जो घोषणा होती है वो प्रजा को मालूम ही नहीं होती है. इसे इतना तो साफ है कि जो भी नाम उन्हें सोशल मीडिया के जरिए दिया गया वो बिल्कुल सही है.

Advertisement
Advertisement