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गुजरात चुनाव के वक्त बहाया पानी, अब कई जगह सूख गई नर्मदा

 इंदिरा सागर बांध का जलस्तर फिलहाल 252 मीटर है. इसका न्यूनतम स्तर 247 मीटर है. यानी यहां उपयोग में लाने के लिए 5 मीटर पानी शेष है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब बांध में इतना कम पानी होगा. पानी की कमी की वजह से इस बार मछली उत्पादन आधा रह गया है. यही नहीं, पुनासा उद्वहन सिंचाई योजना के तहत हर साल किसानों को 5 बार पानी दिया जाता था, लेकिन इस बार तीन बार से ज्यादा नहीं मिलेगा.

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सूख रही है नर्मदा
सूख रही है नर्मदा

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राजनीति के फेर में नर्मदा नदी ऐसी फंसी है कि गुजरात के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी सूखने लगी है. आलम यह है कि गर्मी आने से पहले ही कई इलाकों में पानी की जगह जमीन दिखने लगी है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात में नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध खाली हो गया है. इसके मुख्य जलाशय में जलस्तर महज 112.22 मीटर रह गया है. जबकि इसका न्यूनतम जलस्तर 110.7 मीटर होना चाहिए.

बताया जा रहा है कि गुजरात चुनाव के वक्त बांध से 12 मीटर पानी बहा दिया गया था, जिस कारण सरदार सरोवर बांध अब खाली हो गया है. सितंबर-2017 में जब मानसून थमा तो यहां नर्मदा बांध का जलस्तर 130.74 मीटर था. ऊपरी क्षेत्र से पानी की आवक अच्छी थी.

इसके बाद दिसंबर तक जलस्तर 124 मीटर हो गया. बावजूद सरकार ने चुनाव के समय दो महीने में 12 मीटर पानी छोड़ दिया. बांध में न्यूनतम जलस्तर 110.7 मीटर रहना अनिवार्य है. यानी बांध में उपयोग के लिए सिर्फ 2 मीटर पानी शेष है.

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गुजरात के सीएम ने की अपील...

चुनाव के दौरान ज्यादा पानी छोड़ने की मार अब किसानों पर पड़ रही है. हालात यह है कि सीएम विजय रूपाणी अब किसानों से अपील कर रहे हैं कि इस बार खरीफ फसल न लें. क्योंकि सरदार सरोवर में पानी कम रह गया है.

मध्य प्रदेश सरकार पर दबाव...

चुनाव के समय पानी जाया करने के बाद गुजरात सरकार अब मप्र सरकार पर इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध से पानी छोड़ने का दबाव बना रही है. फिलहाल इंदिरा सागर से रोजाना 14 मिलियन घन मीटर पानी छोड़ा जा रहा है. इससे कई जगह नर्मदा सूखने लगी है, जबकि बारिश के मौसम के लिए अभी चार माह बाकी है.

पहली बार इतना कम हुआ पानी...

इंदिरा सागर बांध का जलस्तर फिलहाल 252 मीटर है. इसका न्यूनतम स्तर 247 मीटर है. यानी यहां उपयोग में लाने के लिए 5 मीटर पानी शेष है. ऐसा पहली बार हो रहा है जब बांध में इतना कम पानी होगा. पानी की कमी की वजह से इस बार मछली उत्पादन आधा रह गया है. यही नहीं, पुनासा उद्वहन सिंचाई योजना के तहत हर साल किसानों को 5 बार पानी दिया जाता था, लेकिन इस बार तीन बार से ज्यादा नहीं मिलेगा.

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