2002 में हुए गुजरात के नरोदा गाम दंगा केस की सुनवाई कर रहे जज ने खुद मौका-ए वारदात पर जाने का फैसला किया है.
एसआईटी की विशेष अदालत के जज ने मंगलवार को कहा कि वह 5 अक्टूबर को घटनास्थल का दौरा करेंगे. उन्होंने कहा ये विजिट इसलिए है ताकि, 'इलाके की भौगोलिक संरचना के बारे में समझ कर गवाहों के दावों को परख सकें'.
जज के साथ गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हिमांशु शुक्ला भी जाएंगे. शुक्ला मामले के जांच अधिकारी थे.
जज देसाई ने कहा कि एसआईटी, आरोपियों और पीड़ितों के वकील उनके साथ होंगे, लेकिन पांच अक्टूबर को जब वह दौरा करेंगे तो किसी वकील को घटनास्थल पर जाने की अनुमति नहीं होगी.
जज ने पुलिस से कहा कि वह पंचनामा के उन हिस्सों को जमा करें जिसमें नरोदा गाम के इलाकों का विवरण है. यह निर्देश इसलिए दिया गया ताकि वह उन्हीं के आधार पर फैसला करें कि किन-किन इलाकों का दौरा करने की जरूरत है.
SIT ने दी थी सलाह
दरअसल, एसआईटी ने ही अदालत को सुझाव दिया था कि वह घटनास्थल का दौरा करे ताकि घटना के बारे में बेहतर पता चल सके और गवाहों के दावों का सत्यापन करे.
अमित शाह का हुआ था बयान
हाल ही में SIT कोर्ट में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का बयान दर्ज किया गया था. अमित शाह इस मामले में आरोपी और पूर्व मंत्री माया कोडनानी के गवाह के तौर पर पेश हुए थे. शाह ने कोर्ट को बताया था कि जिस दिन नरोदा गाम में दंगा भड़का था उस दिन माया कोडनानी विधानसभा में थीं. इस केस में अब तक 187 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं.
गौरतलब है कि नरोदा गाम दंगा में कुल 11 अल्पसंख्यक लोगों की हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद मामले की जांच SIT को सौंपी गई थी. इस मामले में SIT 82 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है.