लोकसभा में जबरदस्त बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) का अगला लक्ष्य राज्य सभा है. राज्य सभा में अगले साल तक खाली हो रही 81 सीटें खाली हो रही हैं. एनडीए को अधिकतम सीट हासिल करने के लिए अगले साल होने वाले तीन राज्यों -महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में भारी जीत हासिल करनी होगी.
पिछली लोकसभा में भारी बहुमत के बावजूद तीन तलाक और सिटिजन बिल जैसे 22 बिल ऐसे थे जो राज्य सभा में बहुमत नहीं होने से अटके पड़े हैं. एनडीए को फिलहाल राज्य सभा में बिल पास कराने के लिए के चंद्रशेखर राव की टीआरएस और बीजू जनता दल जैसे गैर यूपीए दलों का सहारा लेना होगा. फिलहाल राज्य सभा में एनडीए गठबंधन की 100 सीटें है जबकि बहुमत के लिए जरूरी 123 की आंकड़ा हासिल करने के लिए अगले साल होने वाले तीन राज्यों - महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधान सभा चुनावों का इंतजार करना होगा. अगले साल तक राज्य सभा की 81 सीटें खाली हो रही हैं.
राज्य सभा में टीआरएस के छह और बीजू जनता दल के नौ सांसद हैं.
राज्य सभा में एनडीए की सौ सीटों में से 72 सीटें भारतीय जनता पार्टी की है जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के पास 73 सीटें हैं.
मौजूदा साल में राज्य सभा की 8 सीटें खाली होने वाली हैं जबकि अगले साल तक 73 सीटें खाली होंगी. 73 में से 55 सीटें अप्रैल तक, पांच जून तक, जुलाई तक 2 और 11 सीटें नवंबर 2020 तक खाली हो रही हैं. अगले साल अंतिम समय में जो 11 कुर्सियां खाली हो रही हैं उसमें दस सीटें यूपी से हैं. 403 सदस्यों वाली यूपी विधान सभा में एनडीए के 310 विधायक हैं. यूपी में भारी बहुमत एनडीए को राज्य सभा में दस में से 9 सीटें दिला सकता है.
आने वाले दिनों में मनमोहन सिंह से लेकर दिग्विजय सिंह, राज बब्बर, प्रभात झा, शरद पवार, जैसे बड़े नेता राज्य सभा से रिटायर हो रहे हैं. पिछली सरकार के दो मंत्री हरदीप पुरी और विजय गोयल का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है. अभी से एलजेपी की ओर से रामविलास पासवान का नाम चर्चा में आने लगा है. अब देखना है कि राज्यसभा में बहुमत की जंग जीतने के लिए मोदी और शाह की नंबर वन जोड़ी कौन सा दांव खेलती है.