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वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल पर NGT का फैसला, श्रीश्री की संस्था AoL को दोषी माना

एनजीटी ने कहा कि जो 5 करोड़ रुपये ऑर्ट ऑफ लिविंग से पहले ही जुर्माने के तौर पर लिए गए हैं, उसे यमुना की बॉयोडायवर्सिटी ठीक करने में खर्च किया जाए.

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ऑर्ट ऑफ लिविंग प्रमुख श्रीश्री रविशंकर (फाइल)
ऑर्ट ऑफ लिविंग प्रमुख श्रीश्री रविशंकर (फाइल)

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आज आर्ट ऑफ लिविंग को लेकर वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. एनजीटी ने वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर दिए अपने अंतिम आदेश में कहा है कि इस कार्यक्रम को यमुना के तट पर कराने से यमुना की बायोडायवर्सिटी को काफी नुकसान हुआ और उसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग दोषी है.

आर्ट ऑफ लिविंग के अलावा NGT ने अपने आदेश में डीडीए को भी इस कार्यक्रम को कराने की इजाजत देने के लिए दोषी माना है. लेकिन डीडीए पर कोर्ट ने कोई जुर्माना नहीं किया है. क्योंकि डीडीए वहां पर बॉयोडायवर्सिटी बनाने का काम शुरू करने जा रहा है.

कोर्ट ने अपने फैसले से साफ कर दिया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला चाहे कोई बड़ा व्यक्ति हो या फिर छोटा, कानून सबके लिए बराबर है. अगर कानून का पालन नहीं किया गया तो फिर सजा का प्रावधान भी सबके लिए बराबर है.

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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि कार्यक्रम को कराने के दौरान NGT ने 5 करोड़ रुपए की जो रकम आर्ट ऑफ लिविंग से वसूली थी, उससे बायोडायवर्सिटी पार्क को बनाने में खर्च किया जाएगा और अगर ये रकम कम पड़ी तो बाकी का खर्चा भी आर्ट ऑफ लिविंग से वसूला जाएगा. अगर 5 करोड़ रुपये से कुछ बचा तो वो आर्ट ऑफ लिविंग को वापस कर दिया जाएगा.

ग्रीन कोर्ट ने DDA और एक्सपर्ट कमेटी को कार्यक्रम से यमुना नदी को हुई क्षति का मूल्यांकन दोबारा करने का भी निर्देश दिया है. उसके बाद ही यह तय होगा कि यमुना बायोडायवर्सिटी को वापस ठीक करने के लिए कुल कितना खर्च आएगा.

अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि आगे भविष्य में वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल जैसे किसी और कार्यक्रम को करने की इजाजत यमुना के तट पर नहीं दी जानी चाहिए. क्योंकि ये पर्यावरण के साथ सीधे-सीधे छेड़छाड़ करने वाला होगा. आज का NGT का आदेश कई मामले में ऐतिहासिक भी है और वर्षों तक मिसाल के तौर पर याद रखा जाएगा.

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