गुजरात में बसे सिखों के भूमि अधिकारों से वंचित होने के दावों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पंजाब के समकक्ष प्रकाश सिंह बादल को उनके कल्याण के प्रति आश्वस्त किया है.
गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया, ‘मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से बातचीत की और उन्हें आश्वस्त किया कि सिखों पर वापस पंजाब जाने के लिए दबाव डालने का कोई सवाल नहीं है.’ उसमें कहा गया है, ‘गुजरात सरकार के कच्छ क्षेत्र में बसे सिखों के प्रति भेदभावपूर्ण और अनुचित नीतियां अपनाने का संकेत देने वाली सारी खबरें राजनीति से प्रेरित हैं और बिल्कुल झूठी हैं जिसे निहित स्वार्थी तत्व फैला रहे हैं.’
सिख किसानों को राज्य से विस्थापित किए जाने की धारणा को दूर करने के प्रयास के तहत मोदी ने कहा, ‘कांग्रेस सरकार द्वारा 50 साल पहले जारी अध्यादेश और उसकी व्याख्या के लिए 1973 में जारी परिपत्र के कारण गलतफहमी पैदा हुई है.’
यह बताया गया है कि कच्छ में बसे सिखों के समूह ने भूमि के स्वामित्व से वंचित किए जाने के मुद्दे को उठाया है. हालांकि वे वहां 50 साल से अधिक समय से बसे हैं.
किसानों ने कथित तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को इस संबंध में ज्ञापन दिया था. उसके बाद पंजाब सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए गुजरात में अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने पर विचार किया. कच्छ क्षेत्र में बसे अनेक सिख किसानों ने बांबे टेनैंसी एंड एग्रीकल्चरल लैंड्स एक्ट, 1958 लगाकर सैकड़ों किसानों की जमीन जब्त करने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है. उसके संबंध में उन्होंने दावा किया कि इसने उन्हें जमीन बेचने, खरीदने या अपनी जमीन के लिए कोई भी कर्ज या सब्सिडी हासिल करने से अक्षम कर दिया.
पिछले साल जून में गुजरात उच्च न्यायालय ने इन किसानों के पक्ष में एक फैसला दिया और कहा कि गुजरात सरकार का आदेश अवैध है. इसके खिलाफ गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उसकी विशेष अनुमति याचिका लंबित है.