कोरोना संकट के बीच देश के कई राज्य ऑक्सीजन की किल्लत की समस्या से जूझ रहे हैं. कुछ ऐसा ही हाल गुजरात का भी है. गुजरात में ऑक्सीजन की खपत बढ़कर 1000 टन तक पहुंच चुकी है. यह एक महीने में 13 गुना बढ़ गई है. वहीं, सूरत में आज रात तक की ऑक्सीजन बची है. डॉक्टरों का कहना है कि 4000 गंभीर मरीज भर्ती हैं. ऑक्सीजन ना मिलने पर स्थिति बिगड़ सकती है.
कोरोना के दैनिक मामलों में दर्ज की जाने वाली वृद्धि के बाद गुजरात के अस्पतालों के सामने ऑक्सीजन को लेकर बड़ा संकट खड़ा हो गया है. गुजरात में ऑक्सीजन की कमी को लेकर होने वाली परेशानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ऑक्सीजन को लेकर हंगामा मचा हुआ है. सरकार के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन से जुड़े लोग कोरोना संक्रमित को ऑक्सीजन का सिलेंडर मुहैया करवा रहे हैं. गुजरात में सिर्फ एक महीने के दौरान ऑक्सीजन की खपत 13 गुना बढ़ गई है. जहां एक महीने पहले प्रति माह केवल 75 टन ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता था, अब यह बढ़कर 1000 टन हो गया है.
केंद्र सरकार ने गुजरात को आपातकालीन उपयोग के लिए 1000 टन ऑक्सीजन प्रदान करने का भी आश्वासन दिया है. अस्पतालों ने निजी वाहनों को किराए पर लेना और ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन संयंत्रों को भेजना शुरू कर दिया है. अचानक गुजरात के विभिन्न शहरों में ऑक्सीजन की कमी से हाहाकार मच गया है. मरीजों के रिश्तेदारों, अस्पताल के अधिकारी और सरकार ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में कमर तोड़ मेहनत कर रही है.
वहीं, सूरत में कोरोना मरीजों की स्थिति और बिगड़ सकती है. यह कहना है सूरत शहर के तमाम हॉस्पिटल के डॉक्टरों का जिन्होंने सूरत जिला कलेक्टर के साथ बैठक कर यह बात कही हैं. डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि उनके पास ज्यादा से ज्यादा 12 घंटे तक का ही ऑक्सीजन है. लिहाजा समय पर ऑक्सीजन न मिला तो शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ सकती है.
बता दें कि सूरत के कई बड़े अस्पतालों में महाराष्ट्र की लिंडे कंपनी से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही थी. लेकिन कंपनी ने पिछले दो दिनों से ऑक्सीजन सप्लाई करने में कटौती कर दी और अब सप्लाई रोक दी है. ऐसे में अस्पतालों के पास आवश्यकता के लिहाज से पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं बचा है. ऐसे में सूरत शहर के विभिन्न अस्पतालों में तकरीबन 4000 से ज्यादा क्रिटिकल मरीज भर्ती हैं जो ऑक्सीजन पर हैं. ऐसे में अचानक से ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाने से सूरत के अस्पतालों के लिए बड़ी मुसीबत आ गई है.
उधर, जिला प्रशासन और स्थानीय भाजपा विधायक हर्ष संघवी डॉक्टरों के साथ बैठक कर समस्या का हल निकालने में जुटे हैं. विधायक की मानें तो ऑक्सीजन की कमी को दूर करने की व्यवस्था के साथ ही आर्लसेल मित्तल कंपनी में ऑक्सीजन युक्त 250 बेड तैयार किया जा रहा है. सूरत में कोरोना के कहर के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म हो रही है. ऐसे में अब डॉक्टरों के साथ जिला प्रशासन पर जिंदगियां बचाने की बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है. सूरत के लिए अगले 12 घंटे बहुत ही अहम हो गया है.