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सूरत की डायमंड बोर्स को भूतिया बिल्डिंग कहने लगे हैं लोग, जानिए क्या है वजह  

सूरत शहर के खजोद इलाके में सरकार के ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट के तहत सूरत डायमंड बोर्स बिल्डिंग बनाई गई है. सूरत डायमंड बोर्स में 9 टावर हैं, जिसमें 4200 ऑफिस हैं. हालांकि, महज चार से पांच ऑफिस से ही शुरू हुए हैं. यहां असफलता को देखकर डायमंड कारोबारी वल्लभभाई लखानी ने सूरत डायमंड बोर्स के चेयरमैन के पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.

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सूरत डायमंड बोर्स.
सूरत डायमंड बोर्स.

एक समय था, जब अमेरिका की पेंटागन बिल्डिंग के नाम पर दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग का खिताब हुआ करता था. मगर, अब यह खिताब सूरत डायमंड बोर्स के पास आ गया है. करीब ढाई महीने पहले इस बिल्डिंग का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. हालांकि, अब लोग इस बिल्डिंग को भूतिया कहने लगे हैं. 

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दरअसल, इस बिल्डिंग में 4200 ऑफिस हैं, जो किसी कारणवश अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं. यही वजह है कि लोग इसे भूतिया बिल्डिंग कहने लगे हैं. हालांकि, सूरत डायमंड बोर्स का प्रबंधन इस बात से इनकार कर रहा है और कह रहा है कि वह बिल्डिंग को शुरू करवाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है.

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सूरत शहर के खजोद इलाके में सरकार के ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट में सूरत डायमंड बोर्स बिल्डिंग बनाई गई है. सूरत डायमंड बोर्स में 9 टॉवर हैं, जिसमें 4200 ऑफिस है. इस सूरत डायमंड बोर्स को बनाने के लिए सूरत और मुंबई के डायमंड कारोबारियों ने एडवांस बुकिंग की थी. इसके बाद यहां पर कंस्ट्रक्शन शुरू किया गया था. 

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हर टावर में 13वीं मंजिल छोड़ी गई खाली 

करीब 4000 करोड़ रुपये की लागत से दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग को सूरत डायमंड बोर्स को तैयार किया गया था. इस बिल्डिंग को तैयार करने में भारतीय वास्तु शास्त्र का भी ध्यान रखा गया था. यहां, जो 9 टावर बने हैं, उसमें से 13वीं मंजिल को हर टावर में खाली छोड़ा गया है, क्योंकि 13वीं मंजिल को अशुभ माना जाता है. 

इतना सब कुछ करने के बावजूद दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग सूरत डायमंड बोर्स में एडवांस बुकिंग करवाने वाले डायमंड कारोबारी अपने ऑफिस अभी तक शुरू नहीं कर सके हैं. आलम यह है कि 4200 ऑफिस में से महज चार से पांच ऑफिस से ही शुरू हुए हैं. जब यह बिल्डिंग तैयार हुई थी, तब इस बिल्डिंग के मैनेजमेंट में किरण एक्सपोर्ट के नाम से डायमंड का कारोबार करने वाले वल्लभभाई लखानी चेयरमैन हुआ करते थे. उनका मुंबई में डायमंड का कारोबार था. 

इस बिल्डिंग के चेयरमैन होने के नाते सबसे पहले हुए अपने मुंबई से कारोबार को समेट कर सूरत आ गए थे. मगर, यहां असफलता को देखकर डायमंड कारोबारी वल्लभभाई लखानी सूरत डायमंड बोर्स में अपने ऑफिस को ताला लगाकर फिर से मुंबई शिफ्ट हो गए हैं और सूरत डायमंड बोर्स के चेयरमैन के पद से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.

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लालजी भाई पटेल बने कमेटी के नए अध्यक्ष

सूरत डायमंड बोर्स के नए कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर लालजी भाई पटेल आए हैं. वह धर्मनंदन डायमंड के नाम से डायमंड का कारोबार करते हैं. सूरत डायमंड बोर्स की असफलता के कारण अब उसे भूतिया बिल्डिंग कहा जाने लगा है, जिसे लेकर आजतक ने उनसे बातचीत की है. 

लालजी भाई पटेल ने कहा, सूरत डायमंड बोर्स में मैनेजमेंट कमेटी बदलती रहती है. पहले वल्लभभाई लखानी अध्यक्ष थे और अब नई कमेटी बनाई है. वल्लभभाई लखानी अपना सूरत में डायमंड कारोबार बंद करके फिर से मुंबई शिफ्ट हो गए हैं. लालजी भाई ने कहा कि सूरत डायमंड बोर्स को शुरू करने के लिए वह शहर के महीधरपुरा और मिनी बाजार डायमंड मार्केट में डायमंड कारोबारी को साथ मिलकर मीटिंग कर रहे हैं. 

दिवाली तक एक हजार ऑफिस शुरू कराने की योजना 

यही नहीं, वह डायमंड कारोबारियों से मीटिंग करने के लिए मुंबई भी जाने वाले हैं. इससे सूरत डायमंड बोर्स को पूर्ण रूप से शुरू किया जा सकेगा. लालजी भाई ने यह भी बताया सिर्फ ऑफिस शुरू करने से काम नहीं होगा. जब यहां पर लोग डायमंड को खरीदने और बेचने के लिए आएंगे, तो उनके लिए व्यवस्था भी करनी पड़ेगी. उस सुरक्षा व्यवस्था की तरफ भी वह ध्यान दे रहे हैं. 

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उनसे जब पूछा गया कि लोग दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग भूतिया बिल्डिंग कहने लगे हैं, तो उन्होंने कहा बिल्डिंग में डायमंड कारोबारी द्वारा बुकिंग करवाए जाने के बावजूद भी उन्होंने अपनी ऑफिस से शुरू नहीं किए हैं. ऐसे में उनका प्रयास है कि लोग दिवाली तक कम से कम एक हजार ऑफिस शुरू कर दें, जिससे यहां से डायमंड का कारोबार शुरू हो सके. लालजी भाई उदाहरण देते हैं कि मुंबई में भारत डायमंड बोर्स को शुरू होने में 15 साल लग गए थे. मगर, सूरत डायमंड बोर्स को शुरू होने में इतने साल नहीं लगेंगे. सूरत डायमंड बोर्स बहुत जल्दी शुरू हो जाएगा.

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