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भारत की नागरिकता छोड़ विदेश में बस रहे लोग, अहमदाबाद में इतने लोगों ने सरेंडर कर दिए पासपोर्ट

विदेश में धूमने जाना, पढ़ाई के लिए जाना या फिर नौकरी के लिए विदेश जाने की बात हो तो गुजरात, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल समेत कई राज्य के लोग बड़ी संख्या में भारत से बाहर जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से यह देखने को मिल रहा है कि अब भारतीय लोग विदेश में ही सेटल हो रहे हैं और नागरिकता हासिल करके भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर रहे हैं.

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भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर रहे लोग (सांकेतिक तस्वीर)
भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर रहे लोग (सांकेतिक तस्वीर)

कोरोना काल के बाद से पासपोर्ट के लिए आवेदन करना और क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय की तरफ से पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया में पिछले दिनों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. लेकिन इसी के साथ भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करके भारतीय नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या भी तेज रफ्तार से बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि विदेशों में ऐसा क्या है जिसकी वजह से विदेश पहुंचकर लोग वहां की नागरिकता हांसिल करके भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर रहे हैं?

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विदेश में धूमने जाना, पढ़ाई के लिए जाना या फिर नौकरी के लिए विदेश जाने की बात हो तो गुजरात, पंजाब, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल समेत कई राज्य के लोग बड़ी संख्या में भारत से बाहर जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से यह देखने को मिल रहा है कि अब भारतीय लोग विदेश में ही सेटल हो रहे हैं और नागरिकता हासिल करके भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर रहे हैं. 

अहमदाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से प्राप्त आंकड़ो के मुताबिक साल 2023 में 485 लोगों ने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर दिया. ये संख्या उसके पिछले साल 2022 में 241 के मुकाबले दुगनी थी और इस साल केवल छह महीने में ही 245 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है. अभी तक के आंकड़ो को देखकर कहा जा सकता है कि इस साल के अंत तक अहमदाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में एक बार फिर शायद पिछले साल जितने ही लोग भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर देंगे.

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अहमदाबाद में 2023 में जारी हुए 8.5 लाख पासपोर्ट

पासपोर्ट के लिए बढ़ते आवेदन, जारी किए जा रहे पासपोर्ट की संख्या और सरेंडर हो रहे पासपोर्ट के आंकड़ो पर अहमदाबाद के आरपीओ अभिजीत शुक्ला ने आजतक से कहा कि अहमदाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के डाटा पर नजर डालें तो साल 2023 में 8,52,294 पासपोर्ट जारी किए गए जो साल 2022 में 6,24,384 जारी पासपोर्ट के मुकाबले 36.5% अधिक है. इस साल भी पिछले साल की तरह ही ट्रेंड नजर आ रहा है. हो सकता है कि अहमदाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में इस साल के अंत में आने वाले आवेदन से अधिक पासपोर्ट जारी किए जाए.

इन देशों की तरफ आकर्षित हो रहे भारतीय

अहमदाबाद के आरपीओ अभिजीत शुक्ला ने बताया कि अब पासपोर्ट 15 से 20 दिनों में बन जाता है. कई जगहों पर पासपोर्ट केंद्र शुरू होने से पासपोर्ट बनवाना पहले से आसान हो चुका है. विदेश की नागरिकता हासिल करके भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की बढ़ती संख्या पर आरपीओ अभिजीत शुक्ला ने कहा कि अहमदाबाद क्षेत्रीय कार्यालय पर पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की साल 2023 में 485 दर्ज हुई. जो साल 2022 में 241 के मुकाबले दुगनी है. इस साल भी अभी तक 245 लोगों ने अपने पासपोर्ट सरेंडर किए हैं. अगर इसी रफ्तार से यह आगे बढ़ता है तो इस साल भी भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने वालों की संख्या 500 के करीब दर्ज हो सकती है. सबसे ज्यादा भारतीय अमेरिका, कनाडा, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं.

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पढ़ाई और नौकरी करने विदेश जा रहे युवा

पासपोर्ट के लिए बढ़ रहे आवेदन और सामने सरेंडर किए जा रहे पासपोर्ट की संख्या के बारे में अहमदाबाद स्थित स्कॉलर एजुकेशन कन्सल्टेंसी के कंसलटेंट चित्रा लियोंसे का कहना है कि कोरोना काल के समय में विदेश जाने वालों की संख्या लॉकडाउन की वजह से बहुत घट चुकी थी. एजुकेशन या जॉब की संभावनाएं उस समय लगभग खत्म हो चुकी थी, लेकिन समय के साथ अब एक बार फिर से विदेश में घूमने जाना, हायर एजुकेशन के लिए जाना या फिर नौकरी के लिए जाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. आज के समय में 17 से लेकर 40 साल के लोग अपने अच्छे भविष्य और बहेतर रोजगार के लिए अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड के प्रति आकर्षित हो रहे है. विदेश में मेडिकल, नर्सिंग, आईटी जैसे क्षेत्र के लोगो की डिमांड भी काफी बढ़ रही है. 

विदेश में पढ़ने के लिए लोन लेने से नहीं डरते भारतीय

एजुकेशन लोन हब के डायरेक्टर मोना सेहगल कहती हैं कि हम देख रहे हैं कि एजुकेशन या जॉब के लिए विदेश जाने लोग 20 लाख से 1.25 करोड तक की लोन लेने से भी डरते नहीं हैं. पिछले तीमाही में 30% से अधिक लोग एजूकेशन लोन की मदद से विदेश गए हैं. एजूकेशन लोन के लिए आवेदन करने वाले 70 से 80 प्रतिशत लोग विदेश जाने के इच्छुक हैं और बाद में वहीं सेटल होने की कोशिश में रहते हैं. लोन लेकर जो विदेश जा रहे हैं, हम यह भी देखते हैं कि लोन की भरपाई तीन से चार साल में ही लोग कर दे रहे हैं. उनकी और उनके परिवार की स्थिति में भी काफी सुधार भी देखने को मिलता है. कई लोग तो थोड़े ही समय में अपने परिवार के दूसरे लोगों को भी अपने पास विदेश में ले भी जाते हैं.

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विदेश में बच्चों का बेहतर भविष्य देख रहे पेरेंट्स

विदेश में पढ़ाई के उद्देश्य से बाद में वही नौकरी करने वाले भारतीय की संख्या काफी बढ़ती जा रही है. अहमदाबाद में रहने वाले ऐसे ही अभिभावक अजीत कुमार मिश्रा ने कहा, "मैंने अपनी बेटी को मास्टर्स की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा है. वह वहां चार साल से है और अब आगे पढ़ाई कर रही है. मेरी बेटी वहां सेट हो चुकी है. उसके अच्छे भविष्य के लिए मैंने उसे विदेश भेजने का फैसला किया. मेरा एक बेटा भी है, मैं अब उसे भी भेजने का सोच रहा हूं. सबसे बड़ी वजह यह है कि मैंने जो 45 साल में हासिल किया वह विदेश में 20 साल में हासिल हो जाता है. मेरी बेटी अब विदेश में सेट है, आगे वह लौटती है या वहीं सेट होती है ये उसका फैसला है."

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