प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट विस्तार के जरिए सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि अपने गृह राज्य गुजरात को भी साधने का दांव चला है. गुजरात में अगले साल आखिर में विधानसभा चुनाव हैं, जिसे देखते हुए पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में गुजरात के नेताओं को अच्छी खासी तवज्जो दी है.
पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मंडाविया का प्रमोशन किया गया है जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले से ही शामिल हैं. वहीं, केंद्रीय कैबिनेट में अब तीन नए अन्य चेहरों को एंट्री मिली है, जिसके जरिए मोदी ने गुजरात के जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने का दांव चला है.
मोदी कैबिनेट में 6 लोगों को मिली जगह
गुजरात में अगले साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके मद्देनजर मोदी कैबिनेट में राज्य का बेहतर प्रतिनिधत्व दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही यूपी के वाराणसी से सांसद हैं, लेकिन उनका गृह राज्य गुजरात है. लंबे समय तक पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी गुजरात से आते हैं. यही वजह है कि बीजेपी के लिए गुजरात का चुनाव काफी अहम और महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसी के चलते मोदी ने अपनी कैबिनेट में 6 मंत्रियों को जगह दी है.
गुजरात के क्षेत्रीय और जातीय समीकरण
पीएम मोदी ने कैबिनेट विस्तार में गुजरात के क्षेत्रीय और जातीय दोनों ही समीकरण साधने का दांव चला है. सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात को प्रतिनिधित्व मिला है. खेड़ा के देवू सिंह चौहान, सुरेंद्रनगर के डॉ. महेंद्र मुंजपुरा और सूरत के दर्शन जरदोश को जगह मिली है. इस तरह राज्य के सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात क्षेत्रों को पीएम मोदी ने महत्व दिया है. देवू सिंह चौहान ओबीसी हैं जबकि दर्शना जरदोश दक्षिण गुजरात का प्रतिनिधित्व करती हैं. डॉ. महेंद्र मुंजपुरा कोली समुदाय से आते हैं.
पटेल समुदाय को मिली खास तरजीह
गुजरात में पटेल समुदाय काफी राजनीतिक रूप से काफी अहम माने जाते हैं. पटेल समुदाय में कदवा और लेउवा पटेल होता हैं और मोदी ने अपनी कैबिनेट में दोनों ही पाटीदार समुदाय को तव्वजो दी है. पुरुषोत्तम रूपाला कदवा पाटीदार और मनसुख मांडविया लेउवा पाटीदार हैं. इस तरह से पीएम मोदी दोनों को नेताओं को राज्य मंत्री से प्रमोशन कर कैबिनेट मंत्री बना दिया है.
मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, और रसायन और उर्वरक मंत्री बनाया गया है तो पुरुषोत्तम रूपाला को मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री बनाया गया है. गुजरात के दोनों मंत्रियों को जिस तरह की प्रोफाइल दिया गया है, उसका भी राज्य की सियासत पर अच्छा खासा प्रभाव है. गुजरात का बड़ा इलाका समुद्र का तटवर्ती क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में मछुआरे रहते हैं.
गुजरात पटेल समुदाय का मुख्य काम खेती और पशुपालन का है और डेयरी उद्योग गुजरात का पूरे देश में मशहूर है. ऐसे में पीएम मोदी ने पुरुषोत्तम रूपाला का सियासी कद बढ़ाकर गुजरात के पाटीदार समुदाय को बड़ा संदेश देने के साथ-साथ मछुआरों को भी साधने का दांव चला है. वहीं, मनसुख मंडाविया को स्वास्थ्य मंत्री बनाने के पीछे भी सियासी तौर पर लेउवा पटेल को पार्टी के साथ जोड़े रखने की रणनीति मानी जा रही है.
पुरुषोत्तम रुपाला
गुजरात में प्रभावशाली कड़वा पाटीदार या पटेल समुदाय से आने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम रुपाला एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य रहे और 80 के दशक में भाजपा में शामिल हो राजनीति में आने से पहले पांच साल तक अमरेली नगर निकाय के मुख्य अधिकारी रहे.अमरेली जिले के रहने वाले रुपाला ने जल्द ही पार्टी में अपनी जगह बना ली और वह 1991 में अमरेली सीट से पहली बार विधायक बने. इसके बाद साल 2008 में राज्यसभा सदस्य बने और मोदी सरकार में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री बने और अब उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर प्रमोशन दिया गया है.
मनसुख मंडाविया
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से बीजेपी नेता मनसुख मंडाविया 2016 से केंद्र में मोदी सरकार में एक अहम युवा चेहरे के तौर पर राज्यमंत्री बनाया गया. साल 2019 में दोबारा केंद्र में बने और अब उन्हें प्रमोट कर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का जिम्मा सौंप दिया गया है. भावनगर जिले के हनोल गांव में एक जुलाई 1972 को एक किसान परिवार में जन्मे मंडाविया सबसे पहले 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में फिर से राज्यसभा सदस्य बने.
वह आरएसएस की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत और 2002 में गुजरात में तब सबसे युवा विधायक बने थे. इस तरह पीएम मोदी के करीब और अब उन्हें अपनी कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी सौंपकर गुजरात चुनाव के समीकरण साधने का दांव चला है.
गुजरात बीजेपी के लिए क्यों अहम है
दरअसल, 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर मोदी और अमित शाह पिछले कुछ समय से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. राज्य में विभिन्न जातियों के लोग मांग कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री को उनकी जाति का होना चाहिए. यह मांग जो शुरू में मजबूत पाटीदार से आई और उसके बाद कोली और ठाकोर समुदाय ने भी अपनी आवाज बुलंद कर दी है. ऐसे में मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में खास तवज्जो दिया.
गुजरात विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) तीसरी पार्टी के रूप में उभरी है. बीजेपी अभी से राजनीतिक समीकरण बनाना शुरू कर दिया है. पीएम मोदी ने अपनी कैबिनेट में दो पाटीदार, एक ओबीसी, एक महिला और एक कोली समाज को जगह दी है. इसके अलावा पीएम मोदी और अमित शाह खुद भी गुजरात से हैं. इस तरह से देखे तो गुजरात का केंद्रीय कैबिनेट में आधा दर्जन प्रतिनिधित्व हो गया है. राज्य के लोकसभा के लिहाज से देंखें तो कुल 26 सीटें हैं और केंद्र में छह मंत्री हैं. इस तरह से 23 फीसदी प्रतिनिधित्व है, जो कि देश के दूसरे राज्यों से ज्यादा है.