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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत उर्वरकों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उर्वरक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. 7-8 साल पहले अधिकांश यूरिया हमारे खेतों तक नहीं पहुंच पाता था और कालाबाजारी के कारण नष्ट हो जाता था. किसानों को यूरिया के लिए लाठियां खानी पड़ती थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में सहकारिता से समृद्धि कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान ये बातें कही.
पीएम ने कहा कि भारत विदेश से यूरिया का आयात करता है, जिसमें 50 किलो यूरिया की एक बोरी की कीमत 3,500 रुपये है, लेकिन देश में यूरिया की एक ही बोरी सिर्फ 300 रुपये में किसानों को दी जाती है. हमारी सरकार यूरिया की एक बोरी पर 3,200 रुपये का भार वहन करती है. हमने तमाम मुश्किलों का सामना करने की कोशिश की लेकिन अपने किसानों को परेशान नहीं होने दिया.
पीएम मोदी ने कहा कि नई तकनीकों की कमी के कारण यूरिया कारखाने बंद थे. हमारी सरकार ने यूरिया फैक्ट्रियों को शुरू करने में जुटी है. यूपी और तेलंगाना की फैक्ट्रियों ने भी उत्पादन शुरू कर दिया है. शेष 3 बहुत जल्द उत्पादन शुरू करेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद, हमने यूरिया की 100% नीम कोटिंग की. इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चित हुआ. हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद उर्वरक कारखानों को फिर से शुरू करने का काम किया.
पीएम मोदी ने बताया कि कलोल में निर्मित नैनो यूरिया प्लांट की क्षमता 1.5 लाख बोतलों के निर्माण की है, लेकिन आने वाले समय में भारत में ऐसे 8 और प्लांट स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आज हम आदर्श सहकारी ग्राम की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. गुजरात के छह गांवों को चिन्हित किया गया है जहां सहकारिता की पूरी व्यवस्था की जाएगी. मुझे आज नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन करते हुए खुशी हुई. उन्होंने कहा कि देश के किसान के हित में जो भी ज़रूरी हो, वो हम करते हैं, करेंगे और देश के किसानों की ताकत बढ़ाते रहेंगे.
डेयरी क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहा है: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत में एक दिन में करीब 8 लाख करोड़ रुपये का दूध पैदा होता है. गेहूं और चावल के बाजार को मिला दें तो भी ये दूध उत्पादन से कम है. उन्होंने कहा कि डेयरी क्षेत्र के सहकारी मॉडल का उदाहरण हमारे सामने है. आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसमें गुजरात का बड़ा हिस्सा है. पिछले वर्षों में डेयरी क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी अधिक योगदान दे रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि सहकार, गांव के स्वाबलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है. इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है. आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है और आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार है. ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं. पीएम ने कहा कि गुजरात तो इसलिए भी सौभाग्यशाली रहा क्योंकि पूज्य बापू और सरदार साहेब का नेतृत्व यहां हमें मिला. पूज्य बापू ने सहकार से स्वाबलंबन का जो मार्ग दिखाया, उसको सरदार साहेब ने ज़मीन पर उतारने का काम किया.
पीएम ने कहा कि डेयरी सेक्टर के cooperative model का उदाहरण हमारे सामने है. आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है. बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेज़ी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि गुजरात में भी दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं. सरकार यहां सिर्फ एक facilitator की भूमिका निभाती है, बाकी का काम या तो आप जैसे Co-operatives करते हैं, किसान करते हैं.
सहकारिता मंत्रालय का गठन क्यों, पीएम मोदी ने बताया
पीएम मोदी ने कहा कि सहकार की स्पिरिट को आज़ादी के अमृतकाल की स्पिरिट से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. इसी उद्देश्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया. कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए. सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है, सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है. यही आज़ादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया, उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं. छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है. इसी प्रकार लघु उद्योगों- MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मज़बूत हिस्सा बनाया जा रहा है.