आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर अपनी टिप्पणी को लेकर एक आपराधिक मानहानि के मामले में जारी समन रद्द करने से निचली अदालत के इनकार करने के आदेश के विरूद्ध गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया है.
सेशन कोर्ट के पुनर्विचार याचिका खारिज करने के फैसले के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाइकोर्ट मे उन्होंने मांग की है कि सेशन कोर्ट का फैसला निरस्त किया जाए. मेट्रो कोर्ट के समन ऑर्डर के खिलाफ दोनों नेताओं ने की पुनर्विचार याचिका लगाई थी. जिसे सेशन कोर्ट ने पिछले सप्ताह खारिज कर दिया था. 23 सितंबर को मेट्रो कोर्ट में अगली सुनवाई होगी जिसमें केस आगे चलेगा.
आप नेताओं के वकील पर्सी कविना ने के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और राज्यसभा सदस्य सिंह ने निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी समन के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की थी, जिसे 14 सितंबर को सत्र न्यायालय ने खारिज करने का आदेश जारी किया था. इसके बाद, दोनों नेताओं ने सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की.
कविना के मुताबिक, इस मामले पर निचली अदालत के 23 सितंबर को सुनवाई करने को ध्यान में रखते हुए, इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए न्यायमूर्ति समीर दवे की अदालत में विषय को सूचीबद्ध किया गया. अदालत ने अनुरोध खारिज कर दिया और कहा कि कार्यालय को इसे शीघ्र सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है.
सत्र न्यायाधीश जे.एम. ब्रह्मभट्ट की एक अदालत ने पिछले गुरुवार को अपने आदेश में आप नेताओं को निचली अदालत द्वारा जारी समन के फैसले को बरकरार रखा था और कहा था कि अदालत का फैसला न तो गैरकानूनी है और न ही गलत है.
मेट्रोपॉलिटन अदालत ने प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री के संबंध में 'व्यंग्यात्मक' व 'अपमानजनक' बयान को लेकर गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर मानहानि मामले में 15 अप्रैल को केजरीवाल और सिंह को पहला समन जारी किया था. आप नेताओं ने समन को चुनौती देते हुए सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण अर्जी दायर की थी.