राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस का महासचिव बनाकर गुजरात का प्रभारी बनाने को लेकर राजनीतिक हलकों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. एक तरफ गहलोत गुट की तरफ से कहा जा रहा है कि पंजाब का प्रभारी बनकर पंजाब जीताने का इनाम गहलोत को मिला है जबकि दूसरी तरफ गहलोत के गुजरात जाने से सचिन पायलट का खेमा राहत महसूस कर रहा है.
धौलपुर उपचुनाव बुरी तरह से हारने के बाद घबराए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के लिए राजस्थान से गहलोत की विदाई सुकून देने वाली खबर है. दरअसल माना जा रहा था कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब डेढ़ साल रह गए हैं, ऐसे में गहलोत पार्टी की कमान अपने हाथ में ले सकते हैं.
गहलोत अचानक से राज्य की राजनीति में बेहद सक्रिय भी हो गए थे तभी अचानक इनके गुजरात के प्रभारी बनने की खबर आई है. हालांकि विधानसभा चुनाव हारकर मुख्यमंत्री पद गंवाने के बाद से ही खाली बैठे गहलोत को पार्टी ने महासचिव बनाकर ये भी संकेत दिए हैं कि भले ही राज्य में कांग्रेस की कमान सचिन पायलट के हाथ में हैं लेकिन गहलोत की अनदेखी नहीं की जाएगी.
दरअसल गहलोत के महासचिव बनने और गुजरात जाने से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समेत बीजेपी के सभी नेता खुश हैं. गहलोत लगातार वसुंधरा और बीजेपी पर हमलावार हो रहे थे. कांग्रेस को भी लग रहा था कि चुनाव नजदीक आने के साथ ही पार्टी में झगड़ा बढ़ेगा. वहीं धौलपुर उपचुनाव में हार के बाद इशारों-इशारों में सचिन पायलट पर भी हमला बोलते हुए कहा था कि राज्य में कांग्रेस के पक्ष में हवा होते हुए भी ओवरकान्फीडेंस की वजह से हारे थे. इसलिए दोनों में एक को ही राजस्थान में रखना ठीक रहेगा. इस बीच सोशल मीडिया में खबरें वायरल होनें लगी की बीजेपी सचिन पायलट पर डोले डाल रही है.
हालांकि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने इसका खंडन किया मगर जिस तरह से कांग्रेस में भगदड़ मची है उसे देखते हुए कम से कम इस हालात में वो सचिन पायलट को नाराज नहीं करना चाहती थी. साफ है सचिन पायलट को अब खुला मैदान मिला है और उन्हें उपयोगिता साबित करनी होगी.
दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि पंजाब में प्रशांत किशोर के साथ अशोक गहलोत ने काफी अच्छा काम किया था और गुजरात में भी कांग्रेस इस जोरी को दोहराना चाहती है. जबकि गुजरात के प्रभारी गुरुदास कामत से प्रशांत किशोर की पटरी नहीं बैठ रही थी. कहा तो ये भी जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के करीबी अशोक गहलोत अब प्रियंका गांधी के गुट के करीब हो गए हैं जबकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद सचिन पायलट हैं.
गुजरात में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नही है ऐसे में गुजरात में अगर कांग्रेस अच्छी करती है तो गहलोत की वापसी अगले साल राजस्थान की राजनीति में हो सकती है और अगर हार मिलती है तो अशोक गहलोत के लिए मुश्किल हो सकती है.