केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के गांधीनगर और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अमेठी सीट से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद गुजरात की दो राज्यसभा सीटें रिक्त हुई हैं. इन दोनों सीटों पर 5 जुलाई को चुनाव है. बीजेपी ने अमित शाह की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर और स्मृति ईरानी की जगह जुगलजी ठाकोर को राज्यसभा भेजने के लिए उम्मीदवार बनाया है.
जुगलजी ठाकोर को सियासत अपने पिता माथुरजी ठाकोर से विरासत में मिली है. जुगलजी के पिता कांग्रेस के दिग्गज नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोंलकी के राजनीतिक सलाहकारों में से एक थे. इसीलिए जुगलजी ने अपना राजनीतिक सफर कांग्रेस से शुरू किया, लेकिन नरेंद्र मोदी के राजनीति उभार के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया और भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ गए. मौजूदा समय में गुजरात बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहे हैं.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 में जुगलजी ठाकोर ने अपने गृह जनपद मेहसाणा की बेचराजी विधानसभा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने नहीं दिया. इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव में पाटन संसदीय सीट से टिकट मांगा था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें फिर निराश किया. इसके बाद पार्टी ने जुगलजी ठाकोर को पाटन सीट से भरत सिंह दाभी को जिताने की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. इसी के चलते पार्टी ने उन्हें अब राज्यसभा के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है.
बता दें कि एक दौर में जुगलजी ठाकोर कांग्रेस के बागी विधायक अल्पेश ठाकोर के साथ ठाकोर सेना में काम किया था. उन्होंने शराबबंदी को लेकर आंदोलन चलाया था, लेकिन अल्पेश ठाकोर का कांग्रेस की तरफ झुकाव और बीजेपी विरोध के चलते जुगलजी ठाकोर ने अपने को अलग कर लिया था. इसके बाद उन्होंने अल्पेश ठाकोर के जवाब में ओबीसी मोर्चा बनाकर ठाकोर समुदाय के लिए काम करने लगे.
जुगलजी ठाकोर का उत्तर गुजरात के इलाके में अच्छा खासा आधार है और ठाकोर समुदाय के बीच काफी अच्छी पकड़ मानी जाती है. उनके पिता के द्वारा इस इलाके में सामाजिक कल्याण के कई संस्थाएं बनी थी, जो शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए काम कर रही हैं. जुगलजी ठाकोर के जरिए बीजेपी ने ठाकोर समुदाय को साधने की काम किया है.