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राज्यसभा चुनाव: क्या शाह के चक्रव्यूह को तोड़ पाएगा कांग्रेस का चाणक्य?

दरअसल कुछ महीने बाद ही गुजरात विधानसभा  के चुनाव होने हैं, इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों अपनी पूरी ताकत के साथ प्रदेश की राज्यसभा सीटों को जीतना चाहती हैं. ताकि इस जीत के साथ सूबे में चुनावी बिसात बिछाई जा सके.

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कांग्रेस नेता अहमद पटेल और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह
कांग्रेस नेता अहमद पटेल और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह

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गुजरात में कल यानी 8 अगस्त को होने वाला राज्यसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. यही वजह है कि दोनों पार्टियों के बीच शाह-मात का खेल जारी है. बीजेपी जहां सूबे की तीनों सीटों पर जीत का परचम लहराना चाहती है, तो कांग्रेस सोनिया गांधी के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल को जिताने के लिए दिन रात एक किए हुए है. यही वजह है कि ये चुनाव काफी दिलचस्प बन गए हैं, जिन पर सूबे के साथ-साथ देश की भी नजर है.

दरअसल कुछ महीने बाद ही गुजरात विधानसभा  के चुनाव होने हैं, इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों अपनी पूरी ताकत के साथ प्रदेश की राज्यसभा सीटों को जीतना चाहती हैं. ताकि इस जीत के साथ सूबे में चुनावी बिसात बिछाई जा सके. वैसे यहां बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है. कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल चुनाव मैदान में हैं. लेकिन चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कई विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, जिसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर पार्टी विधायकों को डरा धमकाकर तोड़ने का आरोप लगाया. पार्टी अपने विधायकों को बीजेपी से बचाने के लिए कर्नाटक के बंगलुरु ले गई और नौ दिन के बाद आज ही वे वापस गुजरात लौटे हैं.

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कायम रह पाएगा अहमद पटेल का रुतबा?

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पांचवीं बार राज्यसभा पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे हैं. कांग्रेस में अहमद पटेल का रुतबा किसी से छिपा नहीं है. पिछले दो दशक से वे सोनिया गांधी के आंख-कान माने जाते हैं. कांग्रेस की हर हवा के रुख का फैसला अहमद पटेल करते हैं. कांग्रेस शासित राज्यों में मुख्यमंत्री का चयन हो, केंद्र में मंत्री बनने की बात हो या फिर राज्यों में संगठन के अहम पदों पर नियुक्ति, कहा जाता है कि अहमद पटेल की रजामंदी के बिना ऐसे अहम फैसले नहीं होते

यही वजह है कि कांग्रेस अब अपने चाणक्य की राज्यसभा कुर्सी बचाने के लिए हलाकान और परेशान है. वो किसी भी कीमत पर राज्यसभा चुनावों में पटेल की जीत चाहती है, हालांकि उसकी राह थोड़ी मुश्किल हुई है लेकिन पार्टी के नेता अहमद की जीत को लेकर आश्वस्त हैं. प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि राज्यसभा के साथ-साथ  विधानसभा में भी कांग्रेस की विजय होगी. सभी राजनीतिक दलों की सहमति के साथ अहमद पटेल राज्यसभा का चुनाव जीतेंगे.

चाणक्य वर्सेज चाणक्य

वैसे ये सियासी लड़ाई सिर्फ दो सियासी  दलों के बीच नहीं है, बल्कि दो राजनीतिक चाणक्यों के बीच भी है. कांग्रेस के चाणक्य अहमद पटेल से बीजेपी के चाणक्य अमित शाह  की अदावत पुरानी है. दोनों नेता गुजरात की सियासी ज़मी से निकले हैं और अपनी-अपनी पार्टी के सर्वोच्च पदों पर विराजमान हैं.  अमित शाह और अहमद पटेल के बीच 2010 से छत्तीस का आंकड़ा है.  अमित शाह को 2010 में सोहराबुद्दीन के फर्जी एनकाउंटर के केस में जेल जाना पड़ा था. इसके लिए वह कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार को दोषी ठहराते हैं. कहा जाता है कि अहमद पटेल के इशारे पर ही अमित शाह के खिलाफ कार्रवाई हुई थी.

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अमित शाह ही नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अहमद पटेल की अदावत है. प्रधानमंत्री मोदी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि किसी जमाने में वो और अहमद पटेल अच्छे दोस्त हुआ करते थे. एक-दूसरे के घर आना जाना था. मोदी ने कहा कि वो अहमद पटेल को बाबू भाई के नाम से पुकारते थे, लेकिन अब पटेल उनका फोन तक नहीं उठाते. मोदी ने पटेल को मियां भी कहा था,  बाद में मोदी ने सफाई दी कि वो उन्हें सम्मान से मियां साहब कहते हैं.

दूसरी ओर अहमद पटेल ने मोदी के बयान को खारिज करते हुए कहा था कि मैं मोदी से सिर्फ एक बार 1980 में मिला था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जानकारी में मेरी ये मुलाकात हुई थी. 2001 में मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से मैंने उनके साथ एक कप चाय भी नहीं पी है. अहमद पटेल ने कहा कि अगर कोई उनकी मोदी से दोस्ती साबित कर दे तो वो राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लेंगे. साथ ही पटेल ने कहा कि मोदी का बीजेपी में ही कोई दोस्त नहीं है तो कांग्रेस में कैसे होगा.

राज्यसभा की राह कितनी मुश्किल

गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या अब 50 रह गई है. राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 47 विधायकों के वोटों की जरूरत है. जिस तरह से पिछले दिनों कांग्रेसी विधायकों ने पार्टी छोड़ी है. ऐसे ही अगर चार और विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की तो अहमद पटेल का संसद पहुंचना मुश्किल होगा. हालांकि, राहत की बात यह है कि विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को एनसीपी के दो और जदयू के एक विधायक का समर्थन हासिल है. बावजूद इसके क्रॉस वोटिंग का खतरा है. हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में ऐसा हो चुका है. कांग्रेस के 57 विधायक होने के बावजूद मीरा कुमार के समर्थन में सिर्फ 49 वोट पड़े थे. गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी दावा किया है कि सूबे की तीनों सीट पर बीजेपी की जीत होगी और अहमद पटेल की हार तय है.

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