सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जान को खतरा होने की सूरत में 14 साल की रेप पीड़िता का गर्भपात करवाया जा सकता है. गुजरात हाईकोर्ट के खिलाफ जाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारत के गर्भपात संबंधी कानून में संशोधन को हवा दी है.
गुजरात की एक नाबालिग लड़की के साथ डॉक्टर ने बेहोशी की दवा देकर रेप किया था. इस लड़की को 24 हफ्ते का गर्भधारण है.
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 के मुताबिक एक महिला 20 हफ्ते गर्भधारण के बाद अबोर्शन नहीं करवा सकती. हालांकि 12 से 20 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के दौरान भी मां को जान का खतरा होने या बच्चे को मानसिक या शारीरिक विक्लांगता होने की सूरत में ही गर्भपात करवाने की इजाजत है.
बलात्कार पीड़ित लड़की को अबोर्शन करवाने की इजाजत नहीं दी जा रही थी. जिसपर उसकी वकील कामिनी जयसवाल ने तर्क दिया कि इससे लड़की का भविष्य खराब हो सकता है. कोर्ट की ओर से 4 वरिष्ठ डॉक्टरों के पैनल में से एक डॉक्टर ने मेडिकल एग्जामिनेशन कर गर्भवती किशोरी की जान को खतरा बताते हुए उसका अबोर्शन करवा दिए जाने की बात कही थी.