टेक्नोक्रेट सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा यानी सैम पित्रोदा खास मिशन पर हैं. गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले सैम पित्रोदा गुजरात के लोगों के ‘मन की बात’जानने के लिए राज्य के पांच दिन के दौरे पर हैं. उनके साथ कांग्रेस नेताओं की टीम भी है. इस कवायद का मकसद है लोगों से मिली राय को इकट्ठा करना और फिर उसके आधार पर गुजरात के लिए कांग्रेस का मैनिफेस्टो (चुनाव घोषणापत्र) तैयार करना.
कांग्रेस का ये दांव पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के उन बयानों के मुताबिक है, जिसमें वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहते हैं कि वे सिर्फ अपने मन की बात करते हैं, लोगों की नहीं सुनते. भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक माने जाने वाले सैम पित्रोदा गुजरात मिशन के तहत राज्य के पांच अहम शहरों का दौरा करेंगे. ये शहर हैं- वडोदरा, अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और जामनगर.
कांग्रेस के विदेश प्रकोष्ठ के प्रमुख सैम पित्रोदा का कहना है 'मैं अगले पांच दिन लोगों की आवाज सुनने के लिए यहां हूं. हम पांच शहरों में जाकर लोगों से जानेंगे कि वे क्या चाहते हैं. उनसे जो राय मिलेगी वो ना सिर्फ पार्टी के मैनिफेस्टो को सही मायने में पीपल्स मैनिफेस्टो बनाने में मदद करेगा, बल्कि इससे पार्टी के लिए ‘फीडबैंक बैंक’ तैयार करने में भी मदद मिलेगी.'
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने सैम पित्रोदा को आगे करने का ये रणनीतिक दांव बहुत सोच समझ कर चला है. इसके जरिए कांग्रेस संदेश देना चाहती है कि वो ऐसी पार्टी है जो लोगों की बात सुनती है. 75 वर्षीय सैम पित्रोदा अपना राजनीतिक अवतार खुल कर दिखाते हुए कहते हैं, ‘भारत चौराहे पर है, लोकतंत्र को अगवा कर लिया गया है. हमें भारत में लोकतंत्र वापस लाना है.’
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरह सैम पित्रोदा ने बीजेपी के कथित ‘गुजरात विकास मॉडल’को सिरे से खारिज किया. सैम पित्रोदा ने कहा. ‘ये समय ऐसे विकास के बारे में सोचने का है जो सबसे पहले निचले पायदान पर खड़े लोगों की फिक्र करे. गुजरात में कांग्रेस का जोर ऐसे विकास मॉडल पर रहेगा जहां फोकस गरीब, किसान, लघु और मझौले उद्यमियों पर रहे.’
सैम पित्रोदा की अगुआई में गुजरात का दौरा कर रही कांग्रेस टीम को राहुल गांधी ने अलग अलग वर्गों की राय जुटाने के लिए कहा है. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों से जुड़े मुद्दे, लघु और मझौले उद्यम, आवास आदि अहम हैं जिन्हें मैनिफेस्टो में प्रमुखता से स्थान दिया जा सके.
सैम पित्रोदा ने साफ किया कि उनकी भूमिका सिर्फ मेनिफेस्टो तैयार करने तक ही सीमित नहीं है. सैम पित्रोदा ने कहा, ‘मेरे पास कोई राजानीतिक पोजिशन नहीं है और ना ही मैं चाहता हूं. लेकिन अगर कांग्रेस गुजरात में चुनाव जीतती है और जो लोग भी सत्ता में आएंगे, मेरा काम उन पर ये दबाव डालना होगा कि वो उन कामों को प्राथमिकता के आधार पर करें जिनका वादा हम अपने मैनिफेस्टो में करने जा रहे हैं.’