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Gujarat Election 2022: साणंद सीट पर रहा है सीधा मुकाबला, बीजेपी को पटखनी दे पाएगी कांग्रेस?

गुजरात की साणंद विधानसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही. इस सीट से 2017 में बीजेपी के कनु पटेल ने जीत दर्ज की थी. गृह मंत्री अमित शाह के लोकसभा क्षेत्र गांधीनगर में आने वाली साणंद विधानसभा का राजनीतिक गणित बड़ा दिलचस्प है. कभी गुजरात कांग्रेस के कद्दावरों में गिने जाने वाले करमसी पटेल ने दलबदल कर ये सीट बीजेपी की झोली में डाल दी थी.

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Sanand Assembly Seat Gujarat Election 2022
Sanand Assembly Seat Gujarat Election 2022
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2017 में बीजेपी के टिकट पर जीते थे कनु पटेल
  • करमसी पटेल ने कांग्रेस छोड़ थाम लिया था बीजेपा का दामन

गुजरात में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता आया है, लेकिन इस बार दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (एएपी) भी मुकाबले को को त्रिकोणीय बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

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उन सीटों पर सबकी नजरें हैं जो बीजेपी के बड़े नेताओं का गढ़ रही हैं या बड़े नेताओं के संसदीय क्षेत्र में आती हैं. ऐसी ही एक सीट है अहमदाबाद जिले की साणंद विधानसभा सीट जो गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में आती है. गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से देश के गृह मंत्री अमित शाह सांसद हैं.

इस सीट की बात की जाए तो यहां पाटीदार और क्षत्रिय मतदाता अधिक संख्या में हैं. इस सीट के चुनावी अतीत की चर्चा करें तो यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखी जाती रही है. यहां कभी तीसरी पार्टी की नहीं चली है. पिछले 10 साल में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की वजह से इस इलाके में विकास हुआ है. जमीन के दाम करोड़ों में पहुंच गए हैं. साणंद की देश और दुनिया में पहचान टाटा के नैनो प्लांट की वजह से भी है.

साणंद में था कांग्रेस का दबदबा

साल 1962 से लेकर 1972 तक, साणंद विधानसभा के लिए हुए तीन चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा. बाद में साणंद का अस्तित्व समाप्त हो गया और परिसीमन में इसका अहमदाबाद जिले की सरखेज विधानसभा सीट में विलय कर दिया गया. साल 2012 के परिसीमन में साणंद सीट फिर से अस्तित्व में आई. 2012 के चुनाव में कांग्रेस ने करमसी पटेल पर दांव लगाया और पार्टी जीतने में भी सफल रही.

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जब करमसी पटेल ने बदला दल

साल 2017 के चुनाव से पहले जो दल-बदल की राजनीति शुरु हुई, उस में करमसी पटेल काफी चर्चा में रहे. अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के वक्त जब कांग्रेस अपने सभी विधायकों को बेंगलुरु ले गई थी, तब करमसी पटेल भी गए थे. आखिरी वक्त तक वो कांग्रेस के साथ रहे और जब राज्यसभा के लिए वोट डालने की बारी आई तो उन्होंने पार्टी को झटका दे दिया. करमसी पटेल ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया. 2017 के विधानसभा चुनाव में उनके बेटे कनु पटेल ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और सात हजार वोट के अंतर से जीतने में भी सफल रहे.

क्या है वोटों का गणित

साणंद में करीब ढाई लाख मतदाता हैं. साणंद विधानसभा सीट पर 2017 में 75.41 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जिसमें कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी लेकिन जीत बीजेपी को मिली. गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में आने की वजह से यहां पर ब्रिज, सड़कें, पानी जैसी प्राथमिक सुविधाओं का लगातार विकास किया जा रहा है.

साणंद के लोग आजीविका के लिए खेती और इंडस्ट्रीज पर निर्भर हैं. इलाके में औद्योगीकरण की वजह से जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं. अहमदाबाद शहर से जुड़ा होने की वजह से अब इस इलाके को अपकमिंग इंवेस्टमेंट इलाके के तौर पर भी देखा जा रहा है. वैसे देखना दिलचस्प होगा की क्या बीजेपी इस बार कनु पटेल को टिकट देगी या किसी नए चेहरे पर दांव लगाएगी?

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