देश में चुनाव आते ही सरदार पटेल के नाम पर राजनीति शुरू हो जाती है. उनके नाम को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़े दल राजनीति करने लगते हैं, लेकिन जब सरदार को लेकर कुछ करने की बात आती है तो दोनों ही पीछे हटते नजर आते हैं.
पिछले 33 सालों से सरदार पटेल के पैतृक गांव करमसद को राष्ट्रीय दर्जा देने की मांग हो रही है. 2002 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब करमसद में जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए सरदार पटेल के गांव करमसद को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिए जाने को अन्याय करार दिया था. राष्ट्रीय दर्जा को लेकर गांव में सोमवार से अनशन शुरू हो गया है.
प्रधानमंत्री बन गए मोदी लेकिन वादा अब भी अधूरा
आज वही नरेंद्र मोदी राज्य से निकलते हुए केंद्र में आ गए और देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं. गुजरात और केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी सरदार के गांव करमसद को अब तक राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिए जाने से ग्रामीण खासे नाराज हैं. उनका कहना है कि अगर महात्मा गांधी के पोरबंदर को राष्ट्रीय दर्जा दिया जा सकता है तो सरदार के करमसद गांव के ऐसा अन्याय क्यों किया जा रहा?
मांग को लेकर अनशन शुरू
करमसद गांव को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर यहां के तीन लोगों ने सोमवार से मृत्युपर्यंत अनशन शुरू कर दिया है, जबकि गांव के अन्य लोग अनशन पर बैठ गए हैं. अनशन आंदोलन में बीजेपी के कई स्थानीय पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और उन्होंने भी आंदोलन को अपना समर्थन दिया. वहीं मंगलवार को करमसद बंद का ऐलान किया गया है.
करमसद गांव के बिपिन पटेल ने कहा कि इस गांव को स्पेशल राष्ट्रीय दर्जा मिले, तो न सिर्फ गांव की इज्ज़त बढे़गी बल्कि पटेल का सम्मान भी बढ़ेगा. अगर पोरबंदर को राष्ट्रीय दर्जा देकर सम्मान दिया जा सकता है तो करमसद के साथ क्यों नहीं, जितनी वैल्यू गांधीजी की है, उतनी ही सरदार पटेल की भी है. उन्होंने आगे कहा कि हमारा कहना यह है कि जब नरेंद्र मोदी आज खुद केंद्र में सत्ता में हैं और करमसद को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की उनकी ही मांग थी, लेकिन उसे खुद पूरा नहीं किया.
हर जन को अनशन का समर्थन
एक अन्य ग्रामीण राकेश पटेल ने कहा कि करमसद गांव में आमरांत उपवास का आयोजन किया हुआ है जिसका बस एक ही यही उद्देश्य है. हमारी बरसों से यही मांग है कि करमसद को राष्ट्रीय दर्जा दिया जाए
नीलेश पटेल का कहना है कि यह सरदार पटेल का गांव है. यह पटेल की भूमि है, कई सालों से इस गांव को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की मांग की जा रही है. इस मुद्दे को लेकर हर स्तर पर मांग की गई, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
करमसद को राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर आज से शुरू हुए अनशन में हर वर्ग के लोग शामिल हुए. अनशन में शामिल लोगों का कहना है कि जब तक इस गांव को राष्ट्रीय दर्जा नहीं दिया जाता अनशन जारी रहेगा.