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यूपी में प्रियंका गांधी को कमान सौंपना पॉलिटिकल मिसफायर जैसा: शंकर सिंह वाघेला

पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. एक तरफ अंतर्कलह तो दूसरी तरफ पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग कर रही कांग्रेस को आलाकमान द्वारा साधने के हर प्रयास जारी हैं. इसी बीच शंकर सिंह वाघेला ने प्रेस कांफ्रेंस की है.

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शंकर सिंह वाघेला (फाइल फोटो)
शंकर सिंह वाघेला (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है!
  • कांग्रेस के बागी नेता कर रहे हैं मीटिंग दर मीटिंग

पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस में एक बार फिर बगावती सुर तेज हो गए हैं. एक तरफ जहां कांग्रेस के बागी नेताओं का गुट लगातार दिल्ली में मीटिंग पर मीटिंग कर रहा है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 5 राज्यों में चुनाव के बाद की स्थिति का आकलन करने और अपनी चुनावी हार के बाद संगठनात्मक परिवर्तन का सुझाव देने के लिए 5 सीनियर नेताओं को नियुक्त किया है.

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इसी बीच शंकर सिंह वाघेला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. शंकर सिंह पहले कांग्रेस के साथ थे, लेकिन उनकी वर्तमान स्थिति स्पष्ट नहीं है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि आज होलिका दहन है. मैं ऐसी प्रार्थना करता कि कांग्रेस में जो भी प्रॉब्लम चल रही है वो इस दहन के साथ जल जाए. उन्होंने कहा कि मैं G-23 का भागीदार रहा हूं. गांधी फ़ैमिली के लिए जो वेदना लोगों ने महसूस की उसकी बात करता हूं. 

वाघेला ने कहा कि महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी का जो अटैचमेन्ट रहा वो सोनिया जी तक सीमित रहा. अब जो जेनरेशन गैप आ रहा है समझ सकता हूं. संगठन में जो दिक़्क़त होती है उसे निपटाना राहुल गांधी की ज़िम्मेदारी होती है. उन्होंने आगे कहा कि अहमद पटेल ने कांग्रेस को अब तक संभाले रख था, उनकी कमी आज भी कांग्रेस को खल रही है. अहमद पटेल की जगह अगर कोई लेता तो आज ये हालात नहीं होते.

'कांग्रेस को जोड़ने नहीं तोड़ने का काम हो रहा'

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उन्होंने कहा कि यूपी जैसे स्टेट में प्रियंका गांधी को कमान दी गई जो कि एक पॉलिटिकल मिसफायर की तरह था. कांग्रेस के पास सही सलाहकार होने चाहिए वो नहीं है, कांग्रेस को जोड़ने का काम होना चाहिए वो नहीं हो रहा है, बल्कि तोड़ने का काम हो रहा है.

वाघेला ने आगे कहा कि तीन चीज़ पुरानी ही अच्छी होती हैं. जिसमें शराब पुरानी अच्छी,  दोस्ती और नेता भी पुराना अच्छा,  डॉक्टर भी पुराना ही अच्छा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में मैच्योरिटी का अभाव है ऐसे में पार्टी को पंजाब से भी सरकार गंवानी पड़ी. आने वाले दिनों में बीजेपी से लड़ने के लिए कांग्रेस ही जरुरी है. 

प्रॉब्लम लीडरशिप की है: वाघेला

गुजरात में चुनाव आ रहे हैं तो G-23 वाले भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी किसी भी प्रकार की दिक्कत का सवाल ही नहीं है. वहीं राहुल गांधी युवा हैं, लेकिन वो सुनते नहीं हैं. उनमें ह्युमन टच की कमी है. ऐसे में प्रॉब्लम लीडरशीप की है. G-23 के लीडर, जो कांग्रेस के साथ पिछले 50 साल से ज़्यादा वक्त से जुड़े हुए हैं. ये उनकी पीड़ा है. उनको बीजेपी के साथ लड़ना है. ऐसे में उन्हें ठीक नेतृत्व चाहिए. राजनीति फुल टाइम जॉब होती है. 

बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के भाजपा शासित राज्यों में से किसी को भी वापस जीतने में नाकाम रही है जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी से हारकर अपनी सत्ता गंवा दी. इससे पहले सोनिया गांधी ने 15 मार्च को अपनी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर इकाइयों के प्रमुखों को अपना इस्तीफा सौंपने को कहा था. 

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