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गुजरात सरकार को SC से झटका, कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर मीडिया कवरेज पर रोक से इनकार

इस मामले में गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा कि अगर कोरोना से हुई मौत के मामले में मुआवजा लेने के लिए आवदेन बढ़ रहे हैं तो उसे बढ़ने देना चाहिए और सरकार को बिना चिंता किए कल्याणकारी राज्य होने के नाते लोगों की मदद पर ध्यान लगाना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट से गुजरात सरकार को झटका
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गुजरात सरकार को हाई कोर्ट से झटका
  • कोर्ट ने मौत से जुड़े आंकड़ों की रिपोर्टिंग पर रोक से किया इनकार

कोरोना से जुड़े मौत के आंकडों को लेकर गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. दरअसल गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मौते से जुड़े आंकड़ों की मीडिया रिपोर्टिंग में दखल देने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के इस मांग को ठुकराते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया.

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इस मामले में गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने नसीहत देते हुए कहा कि अगर कोरोना से हुई मौत के मामले में मुआवजा लेने के लिए आवदेन बढ़ रहे हैं तो उसे बढ़ने देना चाहिए और सरकार को बिना चिंता किए कल्याणकारी राज्य होने के नाते लोगों की मदद पर ध्यान लगाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया कवरेज पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा इसकी रिपोर्टिंग कम या नहीं भी हो सकती है लेकिन 10 हजार मौत के आंकड़ों और भारी संख्या में जमा किए गए आवेदन से आम आदमी यही सोचेगा कि मौत हुई है. इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.

बता दें कि राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी जहां कोरोना से कई लाख मौत होने का दावा करती रही है वहीं सत्ताधारी बीजेपी सरकार के आंकड़ों में कुछ हजार लोगों की ही मौत हुई है. गुजरात में कोरोना महामारी से मौत की संख्या को लेकर आए दिन राज्य सरकार और विपक्षी दलों में ठनी रहती है. यही वजह है कि आंकड़ों के मीडिया कवरेज को लेकर गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी.

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गुजरात सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ( ASG) ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि ऐसा लग रहा है कि मीडिया ये बता रहा है कि कोविड से मौत के मामले राज्य सरकार की तरफ से कम बताए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना से होने वाली मौत की गणना  ICMR के दिए गए दिशानिर्देशों और उसके अलावा दूसरे मानदंडों से भी हो रही है.

गुजरात सरकार के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि, किसी को कोरोना हुआ और उसके बाद संक्रमण की वजह से अन्य लक्षण और बीमारियां पैदा हो गई और फिर मरीज की मौत हो गई, ऐसे में मौत का कारण कुछ और बताया जा रहा है. 

जस्टिस ने कहा, इसलिए यह जरूरी है कि कोविड की अन्य जटिलताओं और फिर उससे होने वाली मौत पर भी सरकार विचार करे. कोर्ट ने कहा कुछ वर्गों को छोड़कर जिनका अपना एजेंडा है कि मौत की रिपोर्टिंग कम या ज्यादा हुई है उसपर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोगों को इसक लाभ मिले. अगर हमारे आदेश से लोगों को आर्थिक मदद मिलती है तो यह हमारे लिए संतुष्टि की बात है. 

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