गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में सूरत में आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने पहले ही प्रयास में शानदार प्रदर्शन करते हुए नंबर टू की पार्टी बन गई है. सूरत में बीजेपी के बाद आम आदमी पार्टी 27 सीट जीत कर कांग्रेस को खाता खोलने नहीं दिया. अरविंद केजरीवाल की पार्टी की इस शानदार जीत की वजह क्या रही.
सूरत में कांग्रेस का खाता नहीं खुलने की प्रमुख वजहों में से एक है सूरत में कांग्रेस का जो संगठन होना चाहिए उसका नहीं होना. अगर आम आदमी पार्टी (AAP) की बात की जाए तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया जो कि खुद सूरत के ही रहने वाले हैं और पाटीदार हैं. पार्टी को जीत पाटीदार बाहुल्य क्षेत्र में मिली है.
पहली बार निकाय चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी की जीत के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि पार्टी जितनी भी पैनल सूरत में जीती है वह सभी पाटीदार बहुल इलाके में ही है. जिन पाटीदारों ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद कांग्रेस का समर्थन किया था. पाटीदार समाज ने इस बार आम आदमी पार्टी को वोट दिया है.
नाराज था पाटीदार समाज
दूसरी बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति ने कांग्रेस के पास से कुछ टिकट की मांग की थी, लेकिन उतनी टिकट कांग्रेस के जरिए पाटीदारों को नहीं दिए जाने से पाटीदार समाज नाराज था. यहां तक की कांग्रेस ने जिन तीन पाटीदारों को टिकट दिया था उन पाटीदारों ने अपना फॉर्म तक नहीं भरा था. यही वजह थी कि आखिरी दिन पाटीदारों के इस ऐलान के बाद कांग्रेस यहां पर अपने उम्मीदवार भी खड़े नहीं कर पाई थी और पूरी की पूरी पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति कांग्रेस के विरोध में प्रचार कर रही थी.
पाटीदारों के कांग्रेस के विरोध के बीच फायदा आम आदमी पार्टी को मिला. आम आदमी पार्टी ने भी इसके लिए बहुत कोशिश भी की. खुद मनीष सिसोदिया ने सूरत में दो रोड शो किए थे. पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति की जय सरदार लिखी हुई टोपी भी पहनी थी. यहां तक की सड़क के बीच में पाटीदारों के साथ गरबा भी खेला था.
राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के नेता अल्पेश कथिरिया भी कांग्रेस से नाराज चल रहे थे और बीजेपी को वोट नहीं देना था लेकिन कोई दूसरा ऑप्शन चाहिए था ताकि वह कांग्रेस को भी वोट ना दे पाए इसलिए आम आदमी पार्टी को चुना गया.